अंबानी और अडानी की खिलाफत लेकिन विदेशी कंपनियों के विरूद्व कोई मुंह नहीं खोलता
देश को बदनाम करने की साजिश!
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। आंदोलन के नाम पर धरना स्थलों पर सरेआम भारत विरोधी बैनरों के लहराये जाने के बाद सोशल मीडिया पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को बदनाम करने की साजिश के बाद कोई संदेह नहीं रह गया है कि भारत विरोध्ी विचारधारा के लोगों को किसान आंदोलन में शामिल लोगों का मूक समर्थन प्राप्त हो रहा है। अब धीरे धीरे ऐसे लोगों का पर्दाफाश भी हो रहा है लेकिन हैरानी की बात है कि देश के विपक्षी दल जिस तरह से ऐसे लोगों के साथ खड़े हो गए है।
हालांकि सत्ता के लिए द्रोही प्रवृति हमारे लिए कोई नई बात नहीं है। लेकिन जानते बूझते केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए जब राजनीतिक दल ऐसा खतरनाक व्यवहार करते है तो दुख होता है, क्रोध् आता है। इस बेमानी वाले कृत्य में समूचा विपक्ष एक साथ खड़ा दिखायी देता है। हाल ही में एक किटटूल मामले में गिरफ्रतारी और उसके बाद जानते बूझते हुए भी ऐसे कुत्सित कृत्यों को जिस तरह से कांग्रेस और आप पार्टी बेचारगी का चोला पहनाकर सहानुभूति प्रदर्शित कर रहें है, वो बेहद आपत्तिजनक है। हालांकि इस राजनीतिक दलों के नैतिक पत्तन का कारण स्पष्ट है- भाजपा एवं मोदी का विरोध।
आज देशभर में अंबानी और अडानी के विरोध में प्रोपगंड़ा चलाया जा रहा है। लेकिन कोई भी अन्य मल्टीनेशनल कंपनियों के खिलाफ मुंह नहीं खोलता है। किसान आंदोलन में शामिल राजनीतिज्ञ किसानों के नाम पर अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने से बाज नहीं आ रहें है। अपने आप को किसानों का बड़ा नेता कहने वाले स्वयंभू भी एक राजनीतिक पार्टी से संबंध रखते है। अब इन किसान संगठन की असलियत से धीरे धीरे पर्दा खुल रहा है। देश को दंगे की आग में झौंकने की इनकी हिमाकत भी किसी से छिपी नहीं है।
दरअसल किसान आंदोलन से किसानों का मोह भंग होता जा रहा है। यह आंदोलन अब महज पंजाब और यूपी, हरियाणा के मोदी विरोधी राजनीतिज्ञों अखाड़ा साबित होता जा रहा है। सारे कीड़े अब बाहर निकलने लगे है। रालोद और कांग्रेस का खुलकर किसानों की रैलियां निकालना और उनमें रालोद और वामपंथियों का शामिल होना यूपीए के सहभागियों की पोल खोल रहा है। ऐसा करके वे लोग किसानों की बजाय देश विरोधियों के एजेंड़े को आगे बढ़ा रहें है। उन्हें देश की बदनामी कराकर खुशी मिलती है।
दुनिया के किसी कोने से देश विरोध्ी हवा भर चलने से इनके चेहरे खिल उठते है। निःसंदेह ऐसी प्रवृति बेहद घातक है। जिन देश के दुश्मनों से कांग्रेस पार्टी और उसके बड़े नेताओं ने लड़ाई लड़ी, आज उनके वारिश उन्हें गले लगा रहें है, प्रोत्साहित कर रहें है। यह वास्तव में निराश करने वाला है। ऐसे में टिकैत जैसे अवसरवादी नेताओं से क्या उम्मीद की जा सकती है। अब जबकि देश की जांच एजेंसियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की खिलाफत की साजिश को बेनकाब कर रहीं है तो राजनीतिक गोटियां चलने वाले उसको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम देकर बचाने का प्रयास कर रहें है। ऐसे में सवाल यहीं कि इनको अक्ल कब आयेगी। देश के खेती किसानी को बर्बाद करने का प्रयास हो रहा है। देश के उद्योगपतियों का करोबार चौपट करने का षड्यंत्र किया जा रहा है और अब तो इसमें शामिल विदेशी षड्यंत्रकारी भी बेनकाब हो रहें है।
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