वर्षों से गन्ने की कीमतें स्थिर लेकिन महंगाई कई गुना बढ़ी: मोर्चा
- वर्ष 2017-18 में था गन्ने का मूल्य 316/326 प्रति कुंटल
- वर्ष 2018-19 में था 317/327
- वर्ष 2019-20 में 317/327
-वर्ष 2020-21 में भी 317/327
- शिक्षा/ पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स/ खाद्य पदार्थ/ टैक्स आदि में हुई कई गुना वृद्धि, लेकिन गन्ना मूल्य में नहीं
- गन्ना (शीरे) की बदौलत शराब से कमा रही सरकार अप्रत्याशित दौलत
- तीन-चार सालों में सरकार ने की है सिर्फ ₹1 की वृद्धि
- कई-कई महीनों भुगतान न होने का दंश भी झेलता है किसान
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार गन्ना किसानों की पीड़ा को समझने में नाकाम साबित हुई है, जिसका नतीजा यह है कि इस सरकार के कार्यकाल यानी तीन-चार सालों में गन्ने के मूल्य में कोई वृद्धि नहीं हुई, जबकि महंगाई कई गुना बढ़ी है। यहां तक कि पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स/ शिक्षा/ खाद्य पदार्थ/ टैक्स आदि सभी मामलो में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि अगर कीमतों की बात करें तो सरकार ने वर्ष 2017- 2018 में सामान्य प्रजाति के गन्ने का मूल्य 316 तथा अगेती प्रजाति का मूल्य ₹326 प्रति कुंटल निर्धारित किया था तथा इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में 317/327, वर्ष 2019- 20 में 317/ 327 तथा वर्तमान पेराई सत्र 2020-21 में भी कीमतें 317/327 (यथावत) रखी गई हैं, जोकि किसानों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है। दुर्भाग्य देखिए कि सरकार ने इन 3-4 सालों में मात्र गन्ना मूल्य में ₹1 प्रति कुंटल की बढ़ोतरी की है। नेगी ने कहा कि गन्ने से उत्पादित शीरा से बनने वाली शराब इत्यादि से सरकार बहुत मुनाफा कमा रही है, लेकिन गरीब किसानों को देने के लिए सरकार के पास कुछ नहीं है।
इसके अलावा सरकार/ मिल द्वारा कई-कई महीनों (कई मामलों में सालों तक) तक भुगतान न होने का दंश भी किसान को झेलना पड़ता है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि अप्रत्याशित महंगाई को देखते हुए गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की जाए।
पत्रकार वार्ता में ओ0पी0 राणा, दिलबाग सिंह, नारायण सिंह चौहान, विक्रम सिंह पाल आदि मौजूद थे।
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