उच्च न्यायालय के निर्देशों का हो सम्मान: मोर्चा
उपनल कर्मियों की मांगों के मामले में की मांंग
#कई -कई वर्षों से भिन्न-भिन्न विभागों में मुस्तैदी से सेवाएं दे रहे उपनल कर्मी
#उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सरकार ने कर रखी है एसएलपी योजित
#नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन कहा है मामला
#उपनलकर्मी अनिश्चितता में जीने को मजबूर
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि हजारों उपनल कर्मी अपने नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन को लेकर आंदोलित हैं तथा कई वर्षों से पूर्व में भी अपनी मांगों के समर्थन में लड़ाई चुके हैं। इन कर्मियों के आंदोलित होने की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ अन्य विभागों में भी कार्य प्रभावित हो रहा है, जिसका असर सीधा जनता पर पड़ रहा है। सरकार को इनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। नेगी ने कहा कि 12/11/ 2018 को उच्च न्यायालय ने इन कर्मियों के नियमितीकरण एवं न्यूनतम पे-स्केल महंगाई भत्ता सहित देने एवं जीएसटी न काटने हेतु सरकार को निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार निर्देशों के अनुपालना के बजाय उनकी राह में रोड़ा अटकाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी योजित कर दी गई, जिसके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 01/02 /2019 को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। नेगी ने हैरानी जताई की उपनल कर्मी नियमित कर्मचारी से भी अधिक मुस्तैदी से कार्य कर रहा है तथा उसके एवज में मात्र 10-15 हजार में सरकार उसके भविष्य से खिलवाड़ करने में लगी है। अपने भविष्य को लेकर इन कर्मियों के सामने हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि जनहित में सर्वोच्च न्यायालय में योजित एसएलपी वापस ले इन कर्मियों की मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करे।
पत्रकार वार्ता में नरेंद्र सिंह तोमर, संदीप ध्यानी आदि थे।