बुधवार, 17 मार्च 2021

भारत नेपाल के मैत्री सम्बन्ध कभी कमजोर नहीं हुए

 भारत नेपाल के मैत्री सम्बन्ध कभी कमजोर नहीं हुए

नेपाल को राना शासन से मुक्त कराने में भारत की अहम भूमिका रही



                                                                      लिला बहादुर केसी

काठमांडू। पुरातन काल से भारत-नेपाल के मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध चले आ रहें है। इस प्रकार का सम्बन्ध विश्व में और कहीं देखने को नहीं मिलता है। भारत-नेपाल के मैत्री सम्बन्ध के कई कारक है। दोनों देश के नागरिक के एक दूसरे देश में जाने में किसी प्रकार की बाधा नही है। न ही किसी पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है। ज्यादातर इन दोनों देशों की सीमाओं में तार बाड़ भी नहीं है। 



जहां तब दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की बात है तो बता दें कि नेपाल को राना शासन से मुक्त कराने के लिए भारत के बड़े नेेता राजनारायण सिंह, चन्द्र शेखर, जवाहरलाल नेहरु, सरोजिनि नायडू आदि की अहम भूमिका रही। इसी प्रकार राना शासन से बचने के लिए तत्कालीन राजा त्रिभुवन ने सन् 1950 में अपने परिवार के साथ दिल्ली में शरण ली थी। इसी प्रकार अंग्रेज शासन विरूद्व संघर्ष में नेपाल के नेता विश्वेसर प्रसाद कोइराला, गणेशमान सिंह, मनमोहन सिंह आदि नेता भारत में जाकर अंग्रेजों के दमनकारी नीति के विरूद्व शामिल हुए थे। जिसके फलस्वरूप भारत अंग्रेजों के कुशासन से मुक्त हो गया था। 

दोनों देशों का धार्मिक सम्बन्ध समान है। संस्कार समान है। दोनों देशों में हिन्दु धर्मावलम्बी बहुसंख्यक है इसलिए नेपाल के लोग भारत के प्रसिद्व बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, अमरनाथ मन्दिर, अक्षरधाम आदि मन्दिरों में दर्शन के लिए जाते है। इसी प्रकार भारत के लोग भी नेपाल के प्रसिद्व मन्दिर पशुपतिनाथ मन्दिर, मुक्तिनाथ मन्दिर, जानकी मन्दिर में पूजा आर्चना के लिए आते है।

भारत-नेपाल का व्यापारिक सम्बन्ध बेहद गहरा है। दोनों देशों के उत्पादों का आयात-निर्यात आसानी से हो जाता है। जिससे दोनो देश के जनता लाभान्वित होती है। भारत नेपाल को सदीओं से आर्थिक सहयोग देता आ रहा है। जिसके कारण नेपाल के पक्की सड़कें, पुल निर्माण, स्कूल-कालेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, विमान स्थल निर्माण, अन्य साजोसमान के लिए बड़ी राशि नेपाल को प्रदान की जाती रहीं है। भारत ने सन् 2019-20 में नेपाल को 1200 करोड़ की आर्थिक मदद दी थी। 

भारत प्रत्येक वर्ष गणतन्त्र दिवस तथा स्वाधीनता दिवस के दिन नेपाल को एम्बुलेन्स वाहन एवं बसें प्रदान करता रहा है। इसके अलावा हजारों नेपाली विद्यार्थियों को महात्मा गांधी छात्रवृति योजना के तहत डाक्टर, इंजीनियर की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता दे रहा है। 

लम्बे समय से भारत नेपाली नागरिकों को अनेक रोजगार के अवसर देता आ रहा है। जिसमें भारतीय सेना मंे भर्ती, बिहार मिलिटरी पुलिस, उडिशा पुलिस, असम राइफल, बीएसएफ, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स आदि।

नेपाल-भारत दोनों देश में जात-पात, भाषा, रहन-सहन, बोलि-चाली, धर्म-रीति रिवाज एक समान होने के कारण दोनो देशों के नागरिक आपस में शादी विवाह करते है जिसके कारण इनका रोटी बेटी के संबंध कायम है। 

सन् 2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकम्प आया था। उस समय भारत ने नेपाल को बड़ा सहयोग किया था। भारतीय सेना ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया, घर में दबे हुए लोगों को जीवनदान प्रदान किया था। 

हाल ही में दुनिया भर में कोविड-19 का बडा संक्रमण हो गया। इससे नेपाल भी अछूता नही रहा। इसमंे दो लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए और तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए। इस संकट के घडी में भारत ने नेपाल को कोरोना वैक्सीन की दस लाख डोज निशुुल्क उपलब्ध कराके साबित किया कि वहीं नेपाल का एकमात्र सच्चा मित्र है। 

इसके बावजूद समय-समय पर विभिन्न कारणों से भारत नेपाल के बीच संबंधों में उतार चढ़ाव होता रहता है। राजनीतिक कारणों से भी दोनों देशों के बीच मतभेदों को बढ़ाने का काम कुछ लोगों द्वारा किया जाता है लेकिन ऐसी तमाम कोशिशों के बाद भी भारत-नेपाल के सम्बन्ध कभी भी कमजोर नहीं हुए है।

- लेखक आल नेपाल भारतीय पूर्व सैनिक जिल्ला कार्य समिति रूपन्देही, नेपाल के अध्यक्ष है।


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