बुधवार, 17 मार्च 2021

पलायन का विकल्प तलाश रहे बिष्ट

 पहाड़ों की वन सम्पदा प्रकृति का अनमोल तोहफा हैः सुरेन्द्र बिष्ट

पर्यावरण संरक्षण के जरिये युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ पलायन का विकल्प तलाश रहे बिष्ट



पवन नारायण रावत

गंगोलीहाट। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता

एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों!

जी हां मित्रों, युवाओं के मन के कवि दुष्यन्त कुमार अपनी गजलों और कविताओं के माध्यम से युवा पीढ़ी को लगातार संघर्ष करने एवं कभी हार न मानने का सन्देश देते रहे हैं। 



अपनी मेहनत, लगन और कर्मठता से यही सन्देश आज पहाड़ों के सुदूर क्षेत्रों में बेरोजगारी एवं पलायन का दंश झेल रही युवा पीढ़ी को प्रदान कर रहे हैं गंगोलीहाट निवासी गंगावली के संस्थापक एवं पर्यावरण प्रेमी सुरेन्द्र बिष्ट।



पर्यावरण संरक्षण में ही अपना भविष्य तय कर चुके सुरेन्द्र बिष्ट ने गंगोलीहाट में गंगावली नर्सरी की स्थापना की। जिसमें तरह तरह के सुन्दर फूलों के पौधे उपलब्ध हैं। गंगावली में खिले हुए बेहद खूबसूरत फूलों में इसे भलीभांति महसूस किया जा सकता है। उनके स्वयं के आवास पर टेरेस गार्डनिंग से वे लगभग सभी सीजनल जैविक सब्जिया उगाते हैं, जिससे उन्हें बाजार से सब्जी खरीदने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। सीजन के अनुसार बुरांश और एलोवीरा का जूस वे तैयार करते हैं जिसे सुदूर शहरों में उनके शुभचिंतक उनसे प्राप्त करते हैं। उनके द्वारा तैयार अचार के अनेक स्थायी ग्राहक मौजूद हैं। उनका पर्यावरण के प्रति समर्पण ही उनकी अर्थव्यवस्था का बुनियादी आधार है।



प्रकृति प्रेमी सुरेन्द्र पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विशेष रूप से सक्रिय हैं। उन्होंने अपने गांव हाटकेश्वर में अपनी खाली जमीन पर एक विशाल बगीचा स्थापित किया है। जिसमें सेब, नींबू, माल्टा, क्वीराल, खुमानी, केला, अखरोट, आम और एलोवीरा एवं दालचीनी आदि के पेड़ उगाये हैं। गंगोलीहाट के तमाम क्षेत्रों में वे विशेष रूप से अभियान चलाकर पौधारोपण करते हैं एवं क्षेत्र के लोगों को प्रकृति से जुड़े रहने को प्रेरित करते हैं।



प्रकृति प्रेमी सुरेन्द्र का कहना है कि पहाड़ों की वन सम्पदा प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है। हम सबको इसके प्रति संवेदनशील होकर इसके महत्व को समझना पड़ेगा। यह सिर्फ प्रकृति संरक्षण ही नहीं बल्कि स्वयं मानव प्रजाति के भविष्य का संरक्षण भी है। उनके अनुसार पहाड़ों के इस सुदूरवर्ती क्षेत्र में अनेक किस्म की जड़ी बूटियां मौजूद हैं जो अत्यधिक लाभकारी एवं मूल्यवान हैं। वे स्वयं इनका उपयोग करते हैं साथ ही उनके जरिये महानगरों की व्यस्त दिनचर्या में समा चुके उनके शुभचिंतक उनके ग्राहक बनकर इसका लाभ उठाते हैं।



सरल सहज स्वभाव के सुरेन्द्र जहां अपने प्रकृति प्रेम के लिए समर्पित हैं। वहीं अपने मित्रों के बीच भी खासे लोकप्रिय हैं। उनके मित्र उनकी प्रकृति प्रेम की इस मुहिम के कायल हैं एवं उनका यथासंभव सहयोग भी करते हैं। गंगोलीहाट निवासी भूपेश पंत का कहना है कि गंगावली के माध्यम से बिष्ट ने गंगोलीहाट में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने का कार्य किया है। पैराग्लाइडिंग पायलट एवं भुवनेश्वर निवासी शंकर बताते हैं कि सुरेन्द्र गंगोलीहाट क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं जो रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे युवाओं के लिए प्रेरणास्रौत हैं। 

चिटगल निवासी विनोद पन्त का कहना है कि सुरेन्द्र गंगोलीहाट क्षेत्र में जगह जगह भ्रमण कर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रति छोटे बड़े सभी को जागरूक करते हैं साथ ही लगातार स्वयं भी नई जानकारी से रूबरू होते रहते हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा गंगावली यात्रा टीम तैयार की है जिसके संयोजक वे स्वयं हैं। ब्यालपाटा निवासी एवं गंगावली यात्रा टीम के सदस्य नीरज का कहना है कि सुरेन्द्र गंगोलीहाट में रहकर जिस तरह पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन कार्य कर रहे हैं, वे सभी युवाओं के लिए प्रेरणासा्रैत हैं।



सुरेन्द्र के लिए प्रकृति के साये में ही जीवन है। यही उनकी दिनचर्या है। आजीविका भी। इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले बेरोजगार युवाओं को वे व्यवहारिक जानकारी भी उपलब्ध कराते हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि जितना श्रम और समय हम प्रकृति को देते हैं उससे कई गुना अधिक हमें प्राप्त हो जाता है। बस हमें उसे सहेजने और महसूस करने की आवश्यकता है। आखिर प्रकृति अपनी संतानों को कैसे भूखा रख सकती है। वो संसार की ईजा जो ठैरी।

वाकई, सुरेन्द्र बिष्ट गंगोलीहाट में पर्यावरण संरक्षण का पर्याय हैं साथ ही पहाड़ में ही रहकर स्वरोजगार के क्षेत्र में प्रयासरत युवाओं और पलायन की त्रासदी से जूझते पहाड़ के लिए एक उम्मीद की नदी।   - गंगावली नर्सरी से 

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