कविताः शब्द जरूरी है!
- चेतन सिंह खड़का
शब्द जरूरी है और जरूरी है वाक्य,
विचार जरूरी है, और जरूरी है जुबां
जो शब्द से बनते है और शब्द से चलते है।
शब्द जरूरी है।।
शब्द मेरी जमीन, शब्द की खेती करूं।
शब्द के हल चले, शब्द के बीज धरूं।
शब्द निरे खाद-पानी, शब्द पफसल बनते है।
शब्द जरूरी है।।
शब्द के है संर्घष, शब्द से क्रांति है।
शब्द आंदोलन है, शब्द ही शांति है।
शब्द से जीवन चले, शब्द से मरते है।
शब्द जरूरी है।।
शब्द निराश करे, शब्द से जगती है आस।
शब्द अंधेरा भी है, शब्द से ही प्रकाश।
शब्द से भूख लगे, शब्द से पेट भरते है।
शब्द जरूरी है।।
विद्वान शब्द है, शब्द से है इंसान।
शब्द में लालच है, शब्द ही है ईमान।
शब्द की सेना है, शब्द से लड़ते है।
शब्द जरूरी है।।
आग भी पानी भी शब्द, कविता-कहानी भी शब्द
बचपन-बुढ़ापे का शब्द, चढ़ती जवानी भी शब्द
शब्द से सारे करम, बातें शब्द ही करते है।
शब्द जरूरी है।।
नाहक परेशान हो, शब्द के तूफान हो
मुश्किल के हो मसीहा, क्योंकि तुम इंसान हो
शब्द से बढ़ना है, क्या शब्द से डरते है?
शब्द जरूरी है।।
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