हवा के रास्ते आसानी से फैलता है कोरोना वायरस
मेडिकल जर्नल द लांसेट में छपी एक स्टडी में इस बात का दावा
एजेंसी
लंदन। कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से दुनिया का हाल बेहाल हो रखा है। समय के साथ यह बीमारी अपना रूप बदल रही है। भारत समेत कई देशों में इस वक्त हालात बदतर होते जा रहे है। हालांकि इससे बचने के लिए कई वैक्सीनें आ गई हैं लेकिन अभी भी कुछ सवालों के पुख्ता जवाब नहीं हैं।
ऐसा ही एक सवाल है कि आखिर वायरस फैलता कैसे है? तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सवाल है कि क्या यह हवा में घुल चुका है? मेडिकल जर्नल द लांसेट में छपी एक स्टडी में इस बात का दावा किया गया है कि ज्यादातर ट्रांसमिशन हवा के रास्ते से हो रहा है। इस दावे को साबित करने के लिए स्टडी में कई कारण दिए हैं।
स्टडी में बताया गया है कि वायरस के सुपरस्प्रेडर इवेंट महामारी को तेजी से आगे ले जाते हैं। ऐसे ट्रांसमिशन का हवा के जरिए होना ज्यादा आसान है बजाय बूंदों के। ऐसे इवेंट्स की ज्यादा संख्या के आधार पर इस ट्रांसमिशन को अहम माना जाता सकता है।
क्वारंटीन होटलों में एक-दूसरे से सटे कमरों में रह रहे लोगों के बीच ट्रांसमिशन देखा गया, बिना एक-दूसरे के कमरे में गए। बिना लक्षण या लक्षण से पहले ऐसे लोगों से ट्रांसमिशन जिन्हें खांसी या छींक ना आ रही हो, उनसे ट्रांसमिशन के कम से कम एक तिहाई मामले हैं और दुनियाभर में वायरस फैलने का यह एक बड़ा जरिया है। इससे हवा के रास्ते वायरस फैलने की बात को बल मिलता है।
स्टडी में यह भी कहा गया है कि बोलते वक्त हजारों पार्टिकल पैदा होते हैं और कई बड़ी बूंदें जिससे हवा के जरिए वायरस फैलने का रास्ता खुलता है। इमारतों के अंदर ट्रांसमिशन बाहर के मुकाबले ज्यादा है और वेंटिलेशन होने से यह कम हो जाता है।
अस्पतालों और मेडिकल संगठनों के अंदर भी इन्पफेक्शन फैला है जहां कान्टैक्ट और ड्रापलेट से जुड़े कड़े नियमों, जैसे पीपीई तक का पालन किया जाता है। हालांकि एयरोसोल से बचने के लिए कोई तरीका नहीं होता।
लैब में सार्स एंड कोवि-2 वायरस हवा में मिलने का दावा किया गया है। इस दौरान वायरस 3 घंटे तक हवा में संक्रामक हालत में रहा। कोविड-19 मरीजों के कमरों और कार में हवा के सैंपल में वायरस मिला। रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा में वायरस का सैंपल इकट्ठा करना चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए तकनीकी कमियां होती हैं और वायरस को लैब तक लाना मुश्किल हो जाता है। इसके लिए खसरे और टीबी का उदाहरण दिया गया है जो फैलती हवा से हैं लेकिन लैब में इन्हें कमरे की हवा से लेकर कल्चर नहीं किया जा सका है।
अस्पतालों और कोविड-19 के मरीजों वाली इमारतों के एयर फिल्टर्स और डक्ट में वायरस मिला है जहां सिर्फ एयरोसोल पहुंच सकते हैं। अलग-अलग पिंजड़ों में कैद जानवरों में भी ट्रांसमिशन मिला है जो एयर डक्ट से ही जुड़े थे। हवा से वायरस नहीं फैलता, यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। दूसरे तरीकों से वायरस फैलने के कम सबूत हैं।
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