लाकडाउन के अलावा विकल्प नहीं!
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। कोरोना से निपटने के लिए कई राज्यों ने सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, उन्हें और नहीं टाला जा सकता था। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब और केरल जैसे सर्वाधिक प्रभावित राज्यों ने रात का कफ्रर्यू लगा दिया है। स्कूल, कालेज बंद कर दिए गए हैं। परीक्षाएं भी रद्द कर दी गई हैं। इस सख्ती का फौरी मकसद यही है कि लोग घरों से न निकलें और संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके। ऐसी सख्ती पहले ही लागू हो जाती तो हालात बेकाबू होने से बच जाते। लेकिन विशेषज्ञों की चेतावनियों को जिस तरह नजरअंदाज किया जाता रहा, उसी का नतीजा आज लोग भुगत रहे हैं। अब तक माल, सिनेमाघर, स्पा, जिम, तरणताल आदि सब खुले हुए थे। ऐसे में संक्रमण नहीं फैलता तो और क्या होता!
पूरे देश का आंकड़ा देखें तो संक्रमितों का रोजाना का आंकड़ा दो लाख पार कर गया। संक्रमण के फैलाव और इससे होने वाली मौतों, नए मामले आने और सक्रिय मामले बढ़ने की दरों के नए रिकार्ड बन रहे हैं। इसलिए भारत अब कोरोना की सबसे तगड़ी मार झेलने वाला दुनिया का पहला देश हो गया है। आंकड़ा यह है कि अब दुनिया में हर दस में चौथा मरीज अपने यहां का है। देश के तमाम शहरों के अस्पतालों और श्मशानों से आ रही तस्वीरें हालात की भयावहता बता रही हैं। उधर विशेषज्ञ चेता रहे हैं कि महामारी का सिलसिला थमने के पिफलहाल कोई आसार नहीं हैं। अस्पतालों में बिस्तरों और दवाइयों की कमी अभी से होने लगी है। रेमडेसिविर के इंजेक्शन से लेकर आक्सीजन के सिलेंडर कम पड़ जाने से सबका दम फूल रहा है।
यह संकट की घड़ी है। इसमें जितनी सूझबूझ और संयम से काम लेंगे, उतनी जल्दी संकट से बाहर आ सकेंगे। ऐसी आपदाओं से देशों की अर्थव्यवस्थाएं पटरी से उतर जाती हैं। आमजन की माली हालत खराब हो जाती है। व्यापार बैठ जाते हैं। पिछले एक साल से हम यह देख भी रहे हैं। आज जिस तरह के हालात हैं, उसी में जीना भी है और कोरोना को भी हराना है।
ऐसे खतरनाक हालात में लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही के बाद अब लाकडाउन लगाने के अलावा सरकारों के पास और क्या विकल्प रह जाता है। हालांकि वे सख्त फैसला लेने में हिचक रही है और इससे हालात भयावह होते चले जा रहें है।
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