सीएसआईआर–सीएमईआरआई की ऑक्सीजन संवर्द्धन इकाई
देशव्यापी ऑक्सीजन की कमी के बीच रोगियों को ऑक्सीजन चढ़ाने वाला उन्नत उपकरण
एजेंसी
नई दिल्ली। कोरोनवायरस के कारण होने वाली गंभीर बीमारी के उपचार के लिए ऑक्सीजन थेरेपी की सिफारिश की जाती है। देशभर में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की भारी कमी है। ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने और ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित परिवहन और भंडारण के जोखिमों से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने ‘ऑक्सीजन संवर्द्धन’ (ऑक्सीजन एनरिचमेंट) की तकनीक विकसित की है, जिसे 22 अप्रैल को आभासी माध्यम से मेसर्स अपोलो कम्प्यूटिंग लैबोरेट्रीज़ (प्रा.) लिमिटेड, कुशाईगुडा, हैदराबाद को हस्तांतरित किया गया।
इस अवसर पर, सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर (डा0) हरीश हिरानी ने कहा कि इस यूनिट में आसानी से उपलब्ध तेल-मुक्त घूमने वाले कंप्रेसर, ऑक्सीजन ग्रेड जियोलाइट छलनी और वायुचालित घटकों की जरूरत होती है। यह 90 प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन की शुद्धता के साथ 15 एलपीएम तक की सीमा में चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली हवा देने में सक्षम है। जरूरत पड़ने पर, यह यूनिट लगभग 30 प्रतिशत की शुद्धता के साथ 70 एलपीएम तक की मात्रा में चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली हवा की आपूर्ति कर सकता है। इस यूनिट को सुरक्षित रूप से अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ऑक्सीजन की सख्त जरूरत वाले रोगियों के लिए रखा जा सकता है। यह यूनिट दूरदराज के स्थानों में ऑक्सीजन की पहुंच और व्यापक जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। ऑक्सीजन उत्पादन की इस स्थानीय एवं विकेंद्रीकृत प्रक्रिया को अपनाकर ऑक्सीजन तक पहुंच को और अधिक व्यापक बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पल्स डोज मोड विकसित करने के लिए आगे का अनुसंधान चल रहा है, जो एक रोगी के श्वास पैटर्न को भांपने में सक्षम होगा और फिर सिर्फ सांस लेने के दौरान ही ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगा। निरंतर मोड के वर्तमान संस्करण की तुलना में इस मोड के उपयोग से ऑक्सीजन की मांग को लगभग 50 प्रतिशत कम किये जा सकने की उम्मीद है।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई पहले ही भारतीय कंपनियों/विनिर्माण एजेंसियों/एमएसएमई/स्टार्ट अप से तकनीक हस्तांतरण के माध्यम से ऑक्सीजन एनरिचमेंट यूनिट के उत्पादन के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) आमंत्रित कर चुका है।
प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण कार्यक्रम के दौरान मेसर्स अपोलो कम्प्यूटिंग लैबोरेट्रीज़ के जयपाल रेड्डी ने कहा कि पहला प्रोटोटाइप 10 दिनों के भीतर विकसित कर लिया जाएगा और मई के दूसरे सप्ताह से उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। वर्तमान में उनके पास प्रतिदिन 300 यूनिट के उत्पादन की क्षमता है, जिसे मांग के अनुरूप संवर्द्धित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी कंपनी ऑक्सीजन एनरिचमेंट यूनिट के साथ-साथ सीएसआईआर-एनएएल की ‘स्वच्छ वायु’ तकनीक के साथ एकीकृत संस्करण के रूप में इस यूनिट को विकसित करने की योजना बना रही है। रेड्डी ने जोर देकर कहा कि छोटे अस्पतालों एवं आइसोलेशन सेंटरों और दूरदराज के गांवों एवं स्थानों पर मिनी आईसीयू’ के रूप में इस यूनिट की विशेष रूप से आवश्यकता है। ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटरों का उपयोग करके जरूरतमंद रोगियों को ऑक्सीजन का अधिकतम उपयोग भी सुनिश्चित किया जा सकता है। यदि शुरुआती चरण में ही कोविड के रोगियों को यह सुविधा प्रदान कर दी जाती है, तो अधिकांश मामलों में अस्पतालों के चक्कर लगाने और उससे भी आगे वेंटिलेटर की सहायता लेने से बचा जा सकता है। यह भी महसूस किया गया कि ऑक्सीजन सिलेंडर से जुड़े हाल के जोखिम को देखते हुए ऐसे यूनिट का उपयोग सुरक्षित और आसान भी है। जयपाल रेड्डी ने सीएसआईआर-सीएमईआरआई के साथ संबद्ध सभी हितधारकों द्वारा उचित मार्गदर्शन और ऑक्सीजन एनरिचमेंट यूनिट (ओईयू) के सही उपयोग के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के प्रोफेसर हरीश हिरानी के सुझाव की सराहना की।