कोविड़-19 को लेकर जानलेवा साबित हो सकती है हद से ज्यादा लापरवाही
लाकडाउन रिटर्नस! आंकड़े भयावह लेकिन खौफ नदारद
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। भले ही समाचार चैनलों एवं विभिन्न मीडिया के माध्यमों से कोरोना संक्रमण के डरावने आंकड़े गंभीर खतरे की ओर इशारा कर रहें हों लेकिन लाकडाउन रिटर्नस के अटकलों के बीच लोगों की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। आज की डेट में हर कोई मान रहा है कि लोग कोविड़ प्रोटोकाल का पालन नहीं कर रहें है। लेकिन खुद पर इसे अमल करने की बारी आती है तो कोई भी इसे अपनाने को तैयार नहीं दिखाई दे रहा है।
करीब करीब साल भर होने को है, लाकडाउन और कोविड़ संक्रमण को लेकर बने कायदों से लोग इतना पक चुके है कि उन्हें सरकार द्वारा जारी आंकड़ों और मीडिया की रिपोर्टिंग पर विश्वास ही नहीं हो रहा है। अब तो मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और बार-बार साबुन से हाथ धेने से कोफ्रत होने लगी है। अब लोगों को समझा पाना मुश्किल हो गया है कि कोविड़-19 एक खतरनाक संक्रमण है और इससे जान भी जा सकती है।
हालांकि देश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के विषय में सभी अच्छे से जानते है। रोजाना लाखों की संख्या में मरीजों के मिलने की पुष्टि हो रही है और एक बार दोबारा से सैकड़ों कोरोना संक्रमित मौत के मुंह में समा भी रहें है। जिस हिसाब से देशभर में तेजी से कोरोना पांव पसार रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। कई राज्यों में लाकडाउन लगाने की तैयार हो चुकी है। सख्त गाइडलाइन जारी की जा रही है लेकिन लोग बाज आने को तैयार नहीं है।
जबकि दोबारा लाकडाउन लगाने की कवायद शुरू हो चुकी है। यह लाकडाउन रिटर्नस की आहट भर है। विभिन्न रिपोर्ट और आंकड़ों की मानें तो देश में हालात बेकाबू होते जा रहें है जबकि धरातल पर लोगों के बीच कोविड़-19 को लेकर कोई खौफ लोगों के बीच नहीं रह गया है। उन्हें यकीन नहींे हो रहा है कि उनकी यह हद से ज्यादा लापरवाही जानलेवा भी हो सकता है। जबकि बार-बार लोगों को जागरूक करने के लिए आग्रह किया जा रहा है कि अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होने से बेहतर है कि हम मास्क लगायें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और बार-बार साबुन से हाथों को सापफ करें। लेकिन ध्रातल में लोग दूसरों की आलोचना तो कर रहें है कि लापरवाही बरती जा रही है। लेकिन स्वयं के लिए कायदे या प्रोटोकाल में छूट की उम्मीद है।
जबकि सब जानते है कि संभव है कि कोविड़ प्रोटोकाल का पालन कराने वाले सिस्टम में आपका जान पहचान वाला थोड़ी राहत दे दे लेकिन कोविड़-19 का संक्रमण भाई बंधी नहीं करने वाला। जो भी इसके चपेट में आयेगा, उसका जीवन रिस्की हो जायेगा। भले ही कोविड़-19 की अभी दवा न हों, वैक्सीन न लग पाया हो लेकिन इससे बचा तो जा सकता है। बशर्ते कि कुछ कायदों को हम अपना लें। विकल्प है तो जरूर आजमाया जाना चाहिये, इसमें आखिर हर्ज भी क्या है!
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