कविताः कोशिश करते जाना
- चेतन सिंह खड़का
एक बार नहीं, दो बार नहीं, हर बार सदा दोहराना।
असफलता से डरना मत, बस कोशिश करते जाना।।
कि यह है इंसानों का काम, मिलेगा एक दिन तो परिणाम।।
पीछे मुड़के मत देखो, तुम्हें आगे बढ़ना है।
जो अब तक नही मिला किसी को, वो हासिल करना है।
माना कि है राह कठिन और लम्बी दूरी है।
लेकिन कोशिश करने से ही, मंजिल मिलती है।
मेहनत से नाता जोड़ो, न पड़े कभी घबराना।।
असफलता से डरना मत, बस कोशिश करते जाना।।
बोलो क्या नहीं कर सकते हो? काम कौन सा मुश्किल है?
मेहनत करने से ही तो, पास तुम्हारे मंजिल है।
ये मत भूलो मायूसी भी, कमजोरी की निशानी है।
बुरे वक्त से लड़कर तुमने राह अपनी बनानी है।
नाकाम रहे ये सोच के तुम न, हाथ खड़े कर जाना।
असफलता से डरना मत, बस कोशिश करते जाना।।
नफरत की दीवार गिराके महल प्यार के बनते है।
हम सबका ईमान एक है, ईश्वर के सब बन्दे है।
उसने जब हमें एक बनाया, क्या हक कि कोई भेद करे।
भाला हमारा तब ही होगा, जब हम मिलकर एक रहें।
उंच-नीच और जात-र्ध्म के बहकावे में मत आना।।
असफलता से डरना मत, बस कोशिश करते जाना।।