सरकार ने हितकारकों के अनुरोध पर बढ़ायी कार्यान्वयन की तारीख
एजेंसी
नई दिल्ली। सोने के आभूषणों की हालमार्किंग 15 जून से शुरू हो रही है। कोविड को देखते हुए सरकार ने हितधारकों के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है कि ज्वैलर्स को इसके कार्यान्वयन के लिए तैयार होने तथा इससे जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए कुछ और समय दिया जाये। इससे पहले यह योजना 1 जून से शुरू होने वाली थी।
उचित तालमेल सुनिश्चित करने और क्रियान्वयन के मुद्दों को हल करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद तिवारी इस समिति के संयोजक होंगे। उपभोक्ता मामले विभाग में अपर सचिव श्रीमती निधि खरे और ज्वैलर्स एसोसिएशन, व्यापार तथा हालमार्किंग निकायों आदि के प्रतिनिधि समिति का गठन करने जा रहे हैं।
भारत में सोने के आभूषणों की अनिवार्य हालमार्किंग के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा करते हुए उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, रेलवे तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि स्वर्ण आभूषणों में भारत के पास विश्व के सर्वाेत्तम मानक होने चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को बिना किसी और देरी के हालमार्क प्रमाणित सोने के आभूषण जल्द से जल्द पूरे देश में प्राप्त होने चाहिए।
बैठक में सर्राफा व्यापार के विभिन्न संघों, हालमार्किंग केंद्रों, देशभर के ज्वैलर्स, स्वर्ण आभूषणों के व्यापारी और निर्यात निकायों के अलावा उपभोक्ता मामले विभाग तथा भारतीय मानक ब्यूरो के अधिकारियों ने भाग लिया।
भारतीय मानक ब्यूरो की हालमार्किंग योजना के तहत आभूषण विक्रेता हालमार्क वाले गहने बेचने और परीक्षण तथा हालमार्किंग केंद्रों को मान्यता देने के लिए पंजीकृत हैं। बीआईएस (हालमार्किंग) अधिनियम 14.06.2018 से लागू किए गए थे। हालमार्किंग उपभोक्ताओं/आभूषण खरीदारों को सही विकल्प चुनने में सक्षम बनाएगी और उन्हें सोना खरीदते समय किसी भी अनावश्यक भ्रम से बचाने में भी मदद करेगी।
गोयल ने कहा कि रचनात्मक सुझावों को शामिल किया जाएगा और कार्यान्वयन में शुरुआती मुद्दों का समाधान किया जाएगा। इससे पहले सरकार द्वारा 15 जनवरी 2020 को सोने के आभूषणों/कलाकृतियों की अनिवार्य हालमार्किंग के लिए गुणवत्ता नियंत्राण आदेश जारी किया गया था लेकिन गैर-हालमार्क वाले आभूषणों के पुराने स्टाक को हटाने के लिए अंतिम तिथि 1 जून तक बढ़ा दी गई थी।
बीते पांच वर्षों में परख एवं हालमार्किंग वाले केंद्रों में 25 फीसदी की वृद्वि हुई है। पिछले 5 वर्षों में इस तरह के एएंडएच केंद्रों की संख्या 454 से बढ़कर 945 हो गई है। वर्तमान में 940 परख एवं हालमार्किंग केंद्र कार्य कर रहे हैं। इसमें से 84 एएचसी विभिन्न जिलों में सरकारी सब्सिडी योजना के तहत स्थापित किए गए हैं।
वर्तमान में परख एवं हालमार्किंग केंद्र एक दिन में 1500 गहनों को हालमार्क कर सकते हैं, इन केंद्रों की प्रति वर्ष अनुमानित हालमार्किंग क्षमता 14 करोड़ आभूषण (500 गहने प्रति पाली और 300 कार्य दिवस मानते हुए) हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से सिर्फ 35,879 को ही बीआईएस सर्टिफाइड किया गया है।
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