कोविड़ महामारी पर दहशत फैलाने की बजाय जागरूक करने से होगी जीत
नियमों का पालन करने-वैक्सीन लगाने से हारेगा कोराना
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। हमारे देश में बड़ी पुरानी कहानी प्रचलित है कि बार-बार डराने से लोग लापरवाह हो जाते है। भेड़िया आया-भेड़िया आया कहकर लोगों को इकट्ठा करने वाला गड़रिया तब मारा गया जबकि सच में भेड़िया आ गया। लेकिन उसे बचाने आने वाले लोग इस बार नहीं आये। क्योंकि जब भी वे उसको बचाने आते, वह हंसकर टाल देता था। उसने खुद अपने भरोसे को तोड़ा इसलिए जब भेडिया आया तो कोई नहीं आया। आज कोरोना महामारी के दौर में भी उक्त गड़रिये की भूमिका मीडिया निभा रहा है।
यकीनन आज की डेट में यदि कोई खबरिया चैनल देखने बैठे तो वह खौफ से मर जायेगा। यदि कोई कोविड-19 से बच भी गया तो उसे फंगस की बीमारी लील जायेगी। अब चाहे वह काला हो, सफेद हो या फिर पीला हो। आगे कोई गारण्टी नहीं कि उक्त फंगस किस रंग में वजूद में आ जायेगा। कहते है कि आटे में नकम चल जाता है। लेकिन नमक में आटा नहीं चलता। लेकिन कोविड महामारी के मामले में तो मीडिया ने कोहराम मचा दिया है। कभी शहर, कभी गांव तो कभी बच्चों या बूढ़ों पर इसके लहर का प्रकोप होने की संभावना जैसे मीडिया न होकर वह ज्योतिषी हो।
उसे क्यों नहीं समझ नहीं आता कि मौत बताकर नहीं आया करती है। वह आयेगी तो अपने साथ कई कारण समेट कर ले आयेगी। चाहे वह कारण बीमारी हो या कोई दुर्घटना आदि। लाखों में एक मरीज की मौत हो जाती है तो इसमें नया क्या है? ऐसा हमेशा से होता चला आया है। दुर्घटना में भी अमूमन लोग मरते ही है। हालांकि कोई नहीं चाहता कि ऐसा हो। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है!
लेकिन यकीनन कोविड़ महामारी को टाला जा सकता है। बशर्ते कि हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, दो गज की दूरी अपनायें और बार-बार हाथ धोयें। बेवजह घर से बाहर न निकलें और आपस में मिलना जुलना न करें तो निश्चित तौर पर हम इस बीमारी से दूर रह सकते है। लेकिन या तो हम उसके पीछे हो लेते है जो कहता भागता है कि आसमान गिर रहा है। आसानी से ऐसे बन्दे का यकीन कर लिया जाता है। या फिर बार-बार लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए भेडिया आया-भेडिया आया का राग अलापने लगते है।
जबकि वास्तव में सच तो यह है कि कोविड़ महामारी यानि चायनीज बीमारी की दहशत फैलाने से कुछ होने वाला नहीं है। बल्कि लोगोें को जागरूक कर उनके मन से डर को भगाना होगा। तभी लोगों में विश्वास जायेगा कि कोविड नियमों का पालन करने और वैक्सीन लगवाने से हम जीत सकते है। आज के दौर में जान दांव पर लगाने की बजाय जान को बचाने में फोकस करना जरूरी है ताकि जान सलामत रहे। आज जो हीरो बनेगा, वह जीरो हो जायेगा। जबकि सामान्य रहने वाला निश्चित तौर पर खुद को ऐसे मुश्किल दौर में बचा सकेगा।
याद रहे कि आज का जीवनमंत्र है खुद का बचाव। यदि आपने ऐसा किया तो निश्चित तौर पर आप अपने परिवार को, अपने समाज को कोविड़ के खतरनाक जबड़े से बचा सकेगे। इसके लिए डरकर घर बैठना पड़े तो हर्ज क्या है?
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