पहली और दूसरी डोज में अलग वैक्सीन लग जाए तो क्या होगा!
एजेंसी
नई दिल्ली। देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब किसी व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन का पहला टीका तो कोविशील्ड का लगा था और दूसरा कोवैक्सिन का लग गया या फिर इसका उल्टा हो गया। इसे लेकर तमाम तरह की आशंकाएं भी जाहिर की गई हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि ऐसी स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है।
नीति आयोग की स्वास्थ्य समिति के सदस्य डा0 वीके पाल का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन का अलग-अलग टीका लग जाता है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि सरकार खुद ही दो टीकों को मिलाकर लगाने की प्लानिंग कर रही है। उन्होंने कहा कि ट्रायल बेसिस पर ऐसा करने की तैयारी है।
वीके पाल ने कहा कि प्रोटोकाल के मुताबिक एक ही वैक्सीन की दोनों डोज लगनी चाहिए। लेकिन यदि किसी व्यक्ति को अलग-अलग वैक्सीन की डोज लग जाती हैं तो यह घबराने की बात नहीं है। हम खुद ट्रायल बेस पर दवाओं की मिक्सिंग पर विचार कर रहे हैं। देश में कोरोना संकट को लेकर बात करते हुए नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि सरकार की फाइजर कंपनी से बात चल रही है। उन्होंने कहा कि जुलाई तक भारत को फाइजर से टीकों की पहली खेप मिल सकती है।
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध में पाया गया कि अगर दो टीकों को मिक्स किया जाए तो कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन दुष्प्रभाव पहले से ज्यादा होते हैं। अभी यह साफ नहीं है कि वैक्सीन का काकटेल कोरोना के खिलाफ कितनी इम्यूनिटी देता है। यह शोध आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका कंपनी की वैक्सीन और फाइजर की वैक्सीन को लेकर की गई थी। इसमें यही देखने की कोशिश की गई थी कि क्या दो अलग-अलग खुराक देने पर लंबे समय तक इम्युनिटी बनी रहती है।
10 लोगों को एस्ट्राजेनेका का टीका 4 हफ्रतों के अंतराल पर लगाया गया था उनमें बुखार के लक्षण दिखे थे, लेकिन जब उन्हें एक खुराक एस्ट्राजेनेका की और दूसरी फाइजर की लगाई गई तो दुष्प्रभाव 34 फीसदी ज्यादा हो गया। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी अब माडर्ना और नोवावैक्स वैक्सीन पर भी ऐसा ट्रायल कर रहा है। हालांकि कोविशल्ड और कोवैक्सीन कासे लेकर ऐसा कोई भी प्रयोग नहीं हुआ है।
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