बुधवार, 2 जून 2021

बाबा वर्सेस आईएमए से डाक्टरों की छवि को नुकसान!

डाक्टरों और अस्पतालों के खराब रवैये के कारण उन्हें नहीं मिल रहा जन समर्थन



बाबा वर्सेस आईएमए से डाक्टरों की छवि को नुकसान!

प0नि0ब्यूरो

देहरादून। हालिया दिनों में स्वामी रामदेव वर्सेस आईएमए के बीच जारी जुबानी जंग चर्चा में है। बाबा रामदेव के एक बयान के बाद आईएमए के डाक्टर बेहूदगी पर उतर आये और बाबा रामदेव पर अर्नगल आरोप लगाने लगे। हालांकि बाबा रामदेव ने संयम के साथ उनका वाजिब जवाब दिया है। 

गौर हो कि यह जुबानी जंग एक दो दिन की परिणीति नहीं है बल्कि लंबे समय से एलौपैथी बनाम आयुर्वेद का विवाद चलता आ रहा है। इन दोनों की विधा के जानकार आज मिलकर काम करने की बजाय एक दूसरे को नीचा दिखाकर खुश होते है। यह अच्छी बात नहीं है। खासकर इस पूरे विवाद में जिस तरह का रवैया आईएमए के डाक्टरों का रहा है, वो बेहद घटिया है। 

आईएमए के पदाधिकारी बाबा रामदेव को लाला आदि संबोधनों से पुकार रहें है। उनके लिए अपशब्दों को प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन वे भूल रहें है कि लालागिरी तो आईएमए भी करता है। जगह जगह स्थापित उसके ब्लड बैंक क्या खून का व्यापार नहीं कर रहें है? इसके अलावा चिकित्सीय क्षेत्र से जुड़े और इसके बाहर के अनेक उत्पादों के विज्ञापन में आईएमए सिफारशी संस्था बन जाता है। ऐसा करके आईएमए के पदाधिकारी जनता की अज्ञानता का नाजायज फायदा उठाते है।

चिकित्सा के क्षेत्र में डाक्टरों और अस्पतालों के खराब बर्ताव के कारण यह आम धारणा बनती जा रही है कि उक्त लोग इलाज के नाम पर बेहिसाब जेब काटते है। बेवजह की जांच करवाना, मंहगी दवाएं लिखना और खामखां आपरेशन करना ताकि मरीज से मोटा बिल खींचा जा सके, यह आम बात हो गई है। मरता क्या न करता, इलाज की मजबूरी में लोग यह सब सहने को मजबूर हो जाते है। ऐसे माहौल में जब बाबा रामदेव ने योग के जरिए स्वस्थ रहने के गुर सिखाये तो जाने क्यों आईएमए जैसी संस्थाओं को मिर्ची लगनी शुरू हो गई। 

आज जो गुस्सा बाबा के प्रति आईएमए से जुड़े डाक्टरों के भीतर देखा जा रहा है, वो एक दो दिन की बात नहीं है। बल्कि यह रोष लंबे समय से उनके भीतर उमड़ रहा है। क्योंकि उनको लगता है कि बाबा उनके पेट में लात मारने लगे है। लेकिन उन्हें याद रखना चाहिये कि उनके पेशे के लोगों के लूटतंत्र को विकसित करने की वजह से ही लोगों की नजरों में डाक्टर और अस्पतालों की खास गिरी है। तभी बाबा जैसे लोगों को अवसर मिला कि वे लोगों में सेहत की तरह विराजमान हों। 

यहीं कारण है कि आज बाबा वर्सेस ऐलोपैथी की जंग में डाक्टरों एवं अस्पताल को जनसमर्थन नहीं मिल रहा है। बाबा रामदेव के साथ अधिकांश लोग खड़े दिख रहें है। आईएमए को अपने व्यवहार में निश्चित तौर पर सुधार करना चाहिये।


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