मस्जिदों के लाउडस्पीकरों की आवाज पर नियंत्रण
मस्जिदों के लाउडस्पीकरों की आवाज का स्तर तय कर दिया जिसका सोशल मीडिया पर हो रहा विरोध
एजेंसी
दुबई। इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से संबंधित नए नियम जारी किए। नए नियमों के तहत स्पीकरों को उनकी अधिकतम आवाज के एक तिहाई स्तर पर रखने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल ही सिर्फ नमाज की अजान देने के लिए किया जाए। ना कि पूरी तकरीर के प्रसारण के लिए। इन नियमों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कापफी आक्रोश देखा जा रहा है लेकिन सरकार कदम का समर्थन कर रही है।
इस्लामी मामलों के मंत्री अब्दुल लतीफ अल-शेख ने अब इन नए आदेशों का समर्थन करते हुए कहा है कि यह आदेश ज्यादा शोर को ले कर हुई शिकायतों के बाद जारी किए गए थे। उन्होंने बताया कि कई नागरिकों ने शिकायत की थी कि तेज आवाज की वजह से बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो रही थी। सरकारी टीवी चैनल द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में शेख ने कहा कि जिन्हें नमाज पढ़नी है उन्हें इमाम के बुलावे का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। उन्हें नमाज से पहले ही मस्जिद पहुंच जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि कई टीवी चैनल भी नमाज और कुरान की तकरीरों का प्रसारण करते हैं। उन्होंने संकेत दिया कि लाउडस्पीकरों का उद्देश्य वैसे भी सीमित हो गया है। कई लोगों ने इन कदमों का स्वागत किया है लेकिन सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। रेस्तरां और कैफे में भी ऊंचे स्वर में संगीत बजाने पर बैन की मांग करने वाला एक हैशटैग लोकप्रिय होने लगा।
शेख कहते हैं कि इस नीति की आलोचना राज्य के दुश्मनों द्वारा फैलाई जा रही है जो जनता को उत्तेजित करना चाहते हैं। यह नीति असल में देश पर शासन कर रहे शहजादे मोहम्मद बिन सलमान के उदारीकरण की विस्तृत मुहिम के बाद आई है। शहजादे की मुहिम ने खुलेपन के एक नए युग के साथ साथ एक और अभियान चलाया है जिसे धर्म पर जोर कम करने के रूप में देखा जा रहा है।
उन्होंने दशकों से लागू फिल्मों पर और महिलाओं के गाड़ी चलाने पर बैन को हटाया है और पुरुषों और महिलाओं को एक साथ संगीत और खेलों के कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति दी है। कई नागरिकों ने इन नए कदमों का स्वागत किया है जबकि अति-रूढ़िवादी इनसे नाराज हुए हैं। स्वागत करने वालों में 30 वर्ष से भी कम उम्र के नौजवान हैं जो देश की आबादी का दो-तिहाई हिस्सा हैं।
शहजादे सलमान ने एक नरम सऊदी अरब बनाने का वादा किया है। इस कड़ी में वो देश की कट्टर छवि को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन साथ ही असहमति की आवाज उठाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी कर रहे हैं।
पिछले तीन सालों में सऊदी में दर्जनों एक्टिविस्ट, मौलवियों, पत्रकार और यहां तक की शाही परिवार के सदस्यों को भी गिरफ्रतार किया गया है।
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