एक सोशल मीडिया कंपनी का दुःसाहस
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। काफी दिनों से भारत सरकार और विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों के बीच तनातनी चल रही है। यह सब इसलिए कि सोशल मीडिया कंपनियां चाहती है कि उसे भारत के नये कानून का पालन न करना पड़े। जबकि सरकार ने साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया कंपनियों को देश में कारोबार की छूट जरूर मिली है लेकिन उन्हें यहां काम करना है तो देश के कानूनों का अनुपालन करना ही होगा। सोशल मीडिया कंपनियों को जिम्मेदारी से मुक्ति नहीं मिल सकती। उन्हें देश के सौहार्द की खिलाफत करने वाली पोस्टों को हटाना होगा और जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करना होगा। लेकिन यह तमाम कंपनियां देश का कानून नहीं मान रहीं है।
सरकार ने उनके प्रति कड़ा रूख अपना लिया है लेकिन देश की विपक्षी पार्टियों के रूख से उनका मनोबल बढ़ रहा है। चूंकि विपक्षी पार्टियां इस मसले का राजनीतिकरण कर ऐसी विदेशी कंपनियों को संरक्षण प्रदान कर रही है इसलिए गूगल और ट्वििटर जैसी विदेशी कंपनी लगातार अवज्ञा करने में लगी हुई है और मनमानी करने के बावजूद स्वयं को पीड़ित प्रदशित कर सहानुभूति पाने का प्रयास कर रहीं है। उनके एजेंडे को सरकार विरोध्ी राजनीतिक दल हवा दे रहें है। बिना सोच विचार कर ऐसी उदण्ड़ कंपनियों को संरक्षण देने का ही नतीजा है कि अब यह देश की संप्रभुता पर ही प्रहार करने लगी है। ट्वििटर ने अपनी वेब साइड में भारत के कुछ हिस्सों को अलग देश प्रदर्शित कर अपने हाव भाव साफ कर दिए है।
वास्तव में ऐसा करके उसने अपनी ताकत का प्रदर्शन नहीं किया वरन हमारी कमियों को उजागर करके रख दिया है। हैरानी की बात है कि विरोध की राजनीति करने वाले हमारे तमाम विपक्षी दल इतने नीचे गिर गए है कि उन्होंने ट्वििटर की इस गुस्ताखी की निंदा नहीं की। बल्कि कहीं न कहीं वे उल्टे सरकार के साथ खड़े होने की बजाय उनके साथ खड़े दिख रहें है, जो देश की शान में लगातार गुस्ताखी करने में लगे हुए है। दरअसल यही प्रवृति ट्वििटर जैसी संस्था के लिए मनोबल बढ़ाने वाले तत्व है। जिसकी बदौलत वह विरोध से देश विरोध तक की धृष्टता पर उतर आता है। इसको देखते हुए हमारे विपक्षी दलों को होश में आने की जरूरत है साथ सरकार से अपेक्षा है कि वह ऐसे सोशल प्लेटफार्म पर कठोर कारवाई करे।
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