2018 से 2020 के बीच देश के 81 फीसदी गन लाईसेंस जम्मू-कश्मीर में जारी
2012 से 2016 के बीच 2 लाख फर्जी लाइसेंस बंटे
एजेंसी
जम्मू। जम्मू और कश्मीर में सर्च आपरेशन चलाकर सीबीआई ने 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। जांच एजेंसी ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया है। इसमें शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार शामिल हैं। दोनों पर 2 लाख फर्जी गन लाइसेंस जारी करने के मामले में शामिल होने का आरोप है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर गन लाइसेंस जारी करने के मामले में देश में टाप पर है। यहां 2018 से 2020 तक सबसे ज्यादा हथियार लाइसेंस जारी किए गए। इन दो सालों में देशभर में 22,805 लाइसेंस जारी किए, इनमें से 18,000 अकेल जम्मू-कश्मीर में जारी हुए। देश के 81 फीसदी लाइसेंस यहां बांटे गए। इसको भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा गन रैकेट बताया जा रहा है।
सीबीआई ने सर्च आपरेशन 4 साल के अंदर बड़ी तादाद में फर्जी लाइसेंस जारी करने के मामले में चलाया। जम्मू और कश्मीर के 22 जिलों में कलेक्टर और मजिस्ट्रेट की मिलीभगत से लाखों फर्जी हथियार लाइसेंस जारी करने का आरोप है। लाइसेंस जारी करने के एवज में पैसों का लेनदेन भी किया गया है।
सीबीआई के एक वरिष्ठ अध्किारी के मुताबिक छापेमारी में जरूरी दस्तावेज हाथ लगे हैं। इनके जरिए एजेंसी को जांच आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। आईएएस शाहिद चौधरी को समन जारी कर श्रीनगर के सीबीआई आफिस बुलाया जाएगा। चौधरी 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल जम्मू और कश्मीर के जनजातीय मामलों के विभाग के प्रशासनिक सचिव के पद पर तैनात हैं। वे मिशन यूथ के सीईओ भी हैं।
इससे पहले चौधरी श्रीनगर के डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कमिश्नर रह चुके हैं। चौधरी कठुआ, राजौरी, उधमपुर और रियासी जिले के डिप्टी कमिश्नकर भी रह चुके हैं। आरोप है कि इन सभी पदों पर रहते हुए चौधरी ने हजारों गन लाइसेंस दूसरे राज्यों के लोगों को फर्जी नाम से जारी कर दिए।
श्रीनगर के अलावा सीबीआई ने अनंतनाग, बारामुला, जम्मू, उधमपुर, राजौरी और दिल्ली में भी छापामार कार्रवाई की है। इस दौरान कई सीनियर अधिकारियों के पुराने और वर्तमान घरों की तलाशी भी ली गई। सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि 20 गन हाउस में भी छापा मारा गया है। इस मामले में अब 8 पूर्व डिप्टी कमिश्नर से पूछताछ की जा रही है।
सीबीआई ने 2020 में 2 आईएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्रतार किया था। दोनों ने कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कई फर्जी गन लाइसेंस जारी किए थे। इससे पहले सीबीआई ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा की एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों के घर की भी तलाशी ली गई थी। कश्मीर के कई अधिकारियों पर लंबे समय से गन लाइसेंस जारी करने के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगते रहे हैं।
राजस्थान सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) ने 2017 में ऐसे ही एक गन रैकेट का खुलासा किया था। उस समय 50 लोगों की गिरफ्रतारी की गई थी। उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने केस सीबीआई के हवाले कर दिया था। फरवरी 2020 में सीबीआई ने एक आरोपी को गिरफ्रतार किया था। उस पर कई लोगों के साथ बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के आरोप लगे थे। कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिस्ट में सामने आए थे।
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