विद्युत चोरी/लाइन लास का खामियाजा क्यों भुगते उपभोक्ताः मोर्चा
- वर्ष 2018-19 में खरीदी गई 14083 मिलियन यूनिट के सापेक्ष बेची गई 12295 एमयू
- वर्ष 2019-20 में खरीदी गई 14139 मिलियन यूनिट एवं बेची गई 12538 एमयू
- सरकार को प्रतिवर्ष लग रही लगभग 180 करोड़ यूनिट की चपत
- मांग के सापेक्ष अधिक बिजली खरीदने पर होता है खेल
- सरकार शिकंजा कसे तो उपभोक्ताओं को मिल सकती है बड़ी राहत
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार की लापरवाही एवं अधिकारियों की मिलीभगत के चलते प्रदेश के ईमानदार विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली चोरी/लाइनलास का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अधिकारियों एवं बिचौलियों की सांठगांठ के चलते मांग के सापेक्ष अत्याधिक बिजली खरीदने में भी भारी खेल होता है। सरकार प्रतिवर्ष प्रतिपूर्ति करने के लिए बिजली के दामों में बढ़ोतरी कर रही है।
नेगी ने कहा कि अगर आंकड़ों की बात की जाये तो वर्ष 2018-19 में सरकार द्वारा 14083.69 मिलियन यूनिट्स खरीदी गई, जबकि उसके सापेक्ष 12295.20 मिलियन यूनिट्स बेची गई तथा इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में 14139.31एमयू खरीदी गई एवं उसके सापेक्ष 12538.65 एमयू बेची गई। बेची गई बिजली में राज्य के उपभोक्ताओं एवं राज्य के बाहर बेची गई यूनिट्स शामिल हैं। इस प्रकार प्रदेश को 1788.49 एमयू का नुकसान वर्ष 2018-19 में हुआ तथा 1600.66 का नुकसान वर्ष 2019-20 में हुआ यानी लगभग 160-180 करोड़ यूनिट्स का नुकसान हुआ। अगर कीमत की बात की जाए तो 600-700 करोड़ का नुकसान प्रतिवर्ष सरकार को हो रहा है।
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि बिजली चोरी/लाइन लास रोकने हेतु कठोर कदम उठाये, जिससे आम उपभोक्ता को राहत मिल सके।
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