इस बार नहीं भरेगा प्रसिद्व गोगामेड़ी मेला
संयुक्त शासन सचिव ने दिये गोगामेड़ी मेला स्थगित करने के आदेश
संवाददाता
हनुमानगढ़। उत्तर भारत के प्रसिद्व एवं साम्प्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक लोकदेवता जाहरवीर गोगाजी महाराज की याद में भादो के महीने में हर वर्ष लगने वाला गोगामेड़ी मेला इस बार भी नहीं भरेगा। देवस्थान विभाग के संयुक्त शासन सचिव अजयसिंह राठौड़ ने एक आदेश जारी किया है।
देवस्थान विभाग के संयुक्त शासन सचिव ने आदेश में लिखा है कि राजकीय आत्मनिर्भर मंदिर श्री जाहरवीर गोगाजी महाराज गोगामेड़ी जिला हनुमानगढ़ का वार्षिक मेला आयोजन के संबन्ध में आयुक्तालय उदयपुर, जिला कलक्टर हनुमानगढ़ की विस्तृत रिर्पाेट एवं कोरोना संक्रमण के मद्देनजर रखते हुए इस वर्ष हनुमानगढ़ जिले में स्थित गोगामेड़ी मंदिर में 22 अगस्त से 20 सितम्बर तक आयोजित होने वाले मेले को स्थगित किये जाने का प्रशासनिक निर्णय लिया गया है। उक्त निर्णय सक्षम स्तर से अनुमोदित है।
बता दें कि रक्षाबंधन के दिन पूर्णिमा से राष्ट्रीय ध्वजारोहण के साथ शुरू होने वाले इस विशाल गोगामेड़ी मेले पर कोराना महामारी का कहर इस तरह बरपा की भादो के महीने में दिल्ली के चांदनी चौक जैसा जगमगता था वो आज उजड़ा-उजड़ा सा दिखाई दे रहा है। इन दिनों वर्षों से यहां पीले वस्त्रधारी कतार में लगकर हाथों में गोगाजी का निशान नेजा लेते हुए गोगाजी के जयकारों के साथ गोगाजी मंदिर में दर्शन करते हुए ढोल-नगाड़े व डमरू की रंगबिरंगी गुंज सुनाई देती थी। श्रद्वालुओं की अनेकों सुविधाओं को सुचारू रूप से संचालन करने और कानून व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस-प्रशासन को लगातार एक माह तक यहां कैंप लगाना पड़ता था।
इस वक्त मेला क्षेत्र में किसी भी तरह कि चहल-पहल नजर नहीं आ रही। मेला स्थगित होने के बाद मेला क्षेत्र के बाजारों में अस्थाई दुकानें लगाने वाले हजारों लोगों के साथ-साथ इनके ठेकेदार भी बेरोजगार हो गए है। कोरोना संक्रमण ने इस वक्त गोगाजी मंदिर के चारों ओर बैरीकेट्स लगवा दिये है। यहां पुलिस का अतिरिक्त जत्था तैनात किया जायेगा ताकि गोगाजी के श्रद्वालु दर्शन के लिए मंदिर तक नहीं पहुंच सके। ये सब इंतजाम कोरोना संक्रमण के चलते श्रद्वालुओं के स्वास्थ्य को देखते हुए किये है। श्रद्वालुओं के लिए गोगाजी महाराज के आनलाइन दर्शन की व्यवस्था की है। इसके लिए इंटरनेट गोगाजी महाराज की ूूूण्ल्वनज्नइमण्बवउध्रंींतअममतहवहंरप पर क्लिक करने पर गोगाजी के आनलाइन लाईव दर्शन कर सकते है।
ज्ञात हो कि हर वर्ष गोगामेड़ी मेले में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, उतराखण्ड, झारखण्ड, जम्मू-कश्मीर, मध्यप्रदेश से करीब 40-50 लाख की संख्या में श्रद्वालु आते हैं। यह मेला दो पखवाड़ों में चलता है, प्रथम पक्ष के इस मेले में पीले वस्त्रधारी पूरब से चलकर ज्यादातर गरीब तबके के श्रद्वालु आते है, इस मेले को पूरबियों का मेला भी कहा जाता है। श्रद्वालुगण गोगाजी की समाधि पर मन्नत मांगते है और नाहर सिंह कुंड पर थापा लेकर जाते है। मन्नतें पूरी होने के बाद पुनः बागड़ यात्रा करते है। श्रद्वालुगण गोगा जी की समाधि पर धोक लगाकर अपनी आस्था व श्रद्वा को वर्षों से निभाते आ रहे है।
गोगामेड़ी का मेला वास्तव में उत्तर भारत का एक प्राचीन प्रसिद्व और विशाल पशु मेले के रूप में पहचाना जाता है। पहले यहां ऊंटों के अलावा बैल-बछड़े बिकते थे, धीरे-धीरे इस मेले के साथ लोक देवता जाहरवीर गोगाजी की आस्थाएं जुड़ती गई और यह मेला एक पशु मेला कम बल्कि लोक देवता जाहरवीर गोगाजी महाराज का मेला प्रसिद्व हो गया। हर वर्ष गोगामेड़ी मेले में राजकीय पशु ऊंट बिकने के लिए आते हैं। मेले के दूसरे पक्ष के समय पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं की कई प्रतियोगिताएं भी करवाई जाती थी। खास बात तो यह देखने को मिलती है कि हर वर्ष गोगामेड़ी मेले का शुभारंभ पशुपालन विभाग के द्वारा करने की रीति-रिवाज चलती आ रही है। बहरहाल लगातार दूसरी साल भी कोरोना महामारी ने पूरे विश्व के चमन गोगामेड़ी मेले को उजाड़ कर रख दिया है।
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