मोर्चा की विपक्ष को नसीहत
आधी-अधूरी तैयारी के साथ सदन में मुद्दा उठाना बंद करे
# आंदोलनकारी आरक्षण मामले से बेखबर विपक्ष सरकार को जगाने में नाकाम
# राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण का है मामला
# विपक्ष आंदोलनकारी आरक्षण मामले की जानकारी से बना हुआ है अनजान
# सरकार की आंदोलनकारी आरक्षण मामले में नहीं है कोई दिलचस्पी
# मोर्चा के प्रयास से दो बार पत्रावली पहुंची राजभवन # मोर्चा ने दी विपक्ष को होमवर्क करने की नसीहत
संवाददाता
विकासनगर। पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सदन में सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण मामले में आधी-अधूरी तैयारी के साथ उठाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।नेगी ने कहा कि 10 फ़ीसदी क्षैतिज आरक्षण प्रदान किए जाने संबंधी विधेयक तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने पास किया था, जोकि लगभग 5-6 साल से राजभवन में लंबित है, के मामले में बेखबर होना विपक्ष की सबसे बड़ी नाकामी है। विपक्ष को किसी मुद्दे को उठाने से पहले उसकी तह में जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिसका नतीजा शून्य निकला।
नेगी ने विपक्ष को जानकारी देते हुए कहा कि जनहित याचिका संख्या 67/2011 दिनांक 26/08/2013 को उच्च न्यायालय ने आरक्षण दिए जाने की कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी गई थी तथा 07/03/ 2018 को उच्च न्यायालय ने आंदोलनकारियों को दिए जाने वाले आरक्षण संबंधी शासनादेश को ही निरस्त कर दिया था। एक अन्य याचिका संख्या 71/ 2014 के द्वारा उच्च न्यायालय ने भी आरक्षण मामले पर रोक लगा दी थी। विपक्ष की जानकारी हेतु उल्लेख करना है कि उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध शाह द्वारा उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की गई है। नेगी ने कहा कि विधेयक को स्वीकृति प्रदान कराए जाने को लेकर मोर्चा द्वारा पूर्व में काफी प्रयास किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप सरकार ने दो-तीन बार स्वीकृति प्रदान किए जाने हेतु पत्र राजभवन को प्रेषित किया गया। नेगी ने कहा कि आंदोलनकारी आरक्षण मामले में सरकार की उदासीनता एवं विपक्ष का आधी-अधूरी तैयारियों के साथ मामले को उठाना आंदोलनकारियों के सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है।
पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह व नरेंद्र तोमर भी मौजूद थे।