भारतीय सेना के लिए खरीदे जाएंगे 73 हजार सिग सार राइफल
एजेंसी
नई दिल्ली। भारतीय सेना के लिए 73 हजार सिग सार असाल्ट राइफल लेने के लिए दाम को लेकर मोलभाव चल रहा है। यह तय होने के बाद यूएस की कंपनी को सप्लाई आर्डर दिया जाएगा और इसके करीब एक साल बाद भारतीय सेना को यह सिग सार असाल्ट राइफल मिलेंगी।
भारतीय सेना ने पहले भी यूएस की कंपनी से 72400 सिग सार राइफल ली हैं। इन राइफल्स को फ्रंट लाइन सैनिकों यानी एलओसी-एलएसी में तैनात सैनिकों को भी दिया गया है। पिछले साल सितंबर में ईस्टर्न लद्दाख में लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत-चीन तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए और 73 हजार सिग सार असाल्ट राइफल की खरीद को मंजूरी दी थी।
सिग सार आधुनिक असाल्ट राइफल हैं और इन्हें पहले काउंटर टेररिजम आपरेशन वाले इलाकों में इस्तेमाल करने के लिए लिया गया था। फिलहाल एलएसी और एलएसी पर तैनात सैनिकों के पास भी यह असाल्ट राइफल हैं। ये असाल्ट राइफल मौजूदा इंसास राइफल को रिप्लेस कर रही हैं। इंसास को आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने बनाया था। सिग सार आधुनिक असाल्ट राइफल हैं। इसका 16 इंच का बैरल है और कैलिबर 7.62 एमएम है। जबकि इंसास का कैलिबर 5.56 एमएम है।
इंसास राइफल आटोमेटेड नहीं है जबकि सिग सार आटोमेटेड है। सिग सार का निशाना भी ज्यादा सटीक है। लाइन आफ कंट्रोल पर तैनात अधिकारियों का कहना है कि इन राइफल से घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकियों से निपटने की क्षमता भी बढ़ी है। इसकी रेंज इंसास या एके-47 से ज्यादा है। 600 मीटर दूर से सिग सार से सटीक निशाना लगाया जा सकता है। यह रेंज इंसास से करीब दो गुनी है।
सिग सार का वजन करीब 3.69 किलो है। सिग सार राइफल को अमेरिकी सेना सहित कई यूरोपियन देशों की सेनाओं इस्तेमाल कर रही हैं। भारतीय सेना को इंसास को रिप्लेस करने के लिए सिग सार के अलावा एके-203 राइफल भी मिलेंगी। इन्हें रूस के साथ मिलकर अमेठी की आर्डिनेंस फैक्ट्री में बनाया जाना है।