57 अंक वाला पास 70 वाला फेल
ग्राम्य विकास विभाग में मोर्चा ने लगाया गडबडी का आरोप
# ग्राम विकास अधिकारी के पद पर चयन का है मामला
# न्यायालय के निर्देश पर काबिल अभ्यर्थी को चयन करने के दिए गए थे निर्देश
# विभाग ने पहले आवत, पहले पावत के द्वारा कर दिया खेल
# मोर्चा प्रकरण को ले जाएगा शासन में
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वर्ष 2011-12 में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर भर्ती हेतु अधियाचन उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद को प्रेषित कर परीक्षा संपन्न कराने का जिम्मा दिया गया, जिसमें लिखित परीक्षा में अहर्ता हेतु न्यूनतम 40 अंक निर्धारित किए गए थे तथा शारीरिक दक्षता परीक्षा का प्रावधान भी किया गया था। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने मेरिट के आधार पर सिर्फ उच्चतम अंक हासिल करने वाले को ही शारीरिक दक्षता परीक्षा हेतु आमंत्रित किया तथा न्यूनतम अहर्ता हेतु निर्धारित अंक 40 एवं उससे अधिक वालों को शारीरिक दक्षता परीक्षा हेतु आमंत्रित नहीं किया गया।
न्यूनतम अहर्ता हासिल करने वाले कुछ युवाओं द्वारा उच्च न्यायालय की शरण ली गई, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 6/4/18 व 9/4/18 के द्वारा निर्णय दिया गया कि जिन अभ्यर्थियों ने न्यूनतम अहर्ता अंक 40 प्राप्त किए हों, उन सभी को शारीरिक दक्षता परीक्षा हेतु बुलाया जाए तथा काबिल अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान की जाए।
नेगी ने कहा कि उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने उक्त निर्देश के क्रम में शारीरिक दक्षता परीक्षा संपन्न कराई एवं जिन अभ्यर्थियों ने न्यायालय की शरण ली थी, उन्हीं के मुताबिक मेरिट सूची बनाकर ग्रामीण विकास विभाग को भेजी, जिस पर विभाग ने 57.25 अंक हासिल करने वाले अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी को वर्ष 2020 में नियुक्ति प्रदान कर दी, लेकिन 70.75 अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी के साथ-साथ 62 से 65 अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिसमें तर्क दिया गया पहले आवत, पहले पावत के सिद्धांत के आधार पर नियुक्ति प्रदान की गई है। नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में सिफारिश विहीन एवं संसाधन विहीन युवा छले जा रहे हैं। मोर्चा शीघ्र ही इस अनियमितता के खिलाफ शासन में दस्तक देगा।
पत्रकार वार्ता में अमित जैन व सुशील भारद्वाज मौजूद थे।