केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अमूल शहद लान्च किया
एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वर्चुअल माध्यम से राष्ट्रीय शहद बोर्ड (एनबीबी) के सक्रिय सहयोग के अंतर्गत अमूल शहद- गुजरात कोआपरेटिव दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) के एक उत्पाद को लान्च किया। इस अवसर पर पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्री पुरषोत्तम रूपाला भी उपस्थिति थे। समारोह को संबोधित करते हुए तोमर ने छोटी जोत वाले किसानों की आय बढ़ाने में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के महत्व पर जोर दिया, जिसे देश में मधुमक्खी पालन के माध्यम से मधुमक्खी पालकों की आय को दोगुना करने के लिए 500 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ लागू किया जा रहा है।
तोमर ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत छोटी जोत वाले किसान हैं। इन छोटी जोत वाले किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें मधुमक्खी पालन जैसे कृषि के अन्य आयामों से जोड़ना आवश्यक है। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की धरती पर एक मीठी क्रांति की इच्छा व्यक्त की थी और अमूल शहद के लान्च करके भारत ने प्रधानमंत्री के सपने को साकार की दिशा में यात्रा शुरू की है।
उन्होंने कहा कि शहद की गुणवत्ता देश में एक प्रमुख चिंता का विषय है जिसके लिए पूरे देश में बड़े पैमाने पर 5 क्षेत्रीय शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं और 100 छोटी शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारा निरंतर प्रयास होना चाहिए कि हमारे शहद उत्पादों की गुणवत्ता भी वैश्विक मानकों को पूरा करे क्योंकि इस क्षेत्र में निर्यात के बहुत अधिक अवसर हैं। मंत्री ने देश के मधुमक्खी पालका को आश्वासन दिया कि भारत सरकार देश में मधुमक्खी पालन के संवर्धन और विकास के लिए हर तरह की आवश्यक सहायता प्रदान करेगी।
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए तोमर ने कहा कि अमूल ने न केवल श्वेत क्रांति की दिशा में एक उपलब्धि हासिल की है, बल्कि इसने दूध प्रसंस्करण क्षेत्र में भी विस्तार किया है और खुद को एक वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित किया है। इसके अलावा अमूल सीमांत किसानों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है और डेयरी क्षेत्र में देश की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
पुरषोत्तम रूपाला ने अपने शहद उत्पाद को लान्च करने पर जीसीएमएमएफ को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि अमूल शहद को वैश्विक मानक के अनुसार परीक्षण के बाद शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने और सहकारी समितियों के माध्यम से शहद बेचने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने मधुमक्खी पालकों को भी प्रोत्साहित किया कि वे शहद के साथ-साथ मधुमक्खी पालन के उत्पादों द्वारा सह-उत्पादों का उत्पादन भी कर सकते हैं, जैसे मधुमक्खी मोम, पराग, रायल जेली, क्योंकि इन सह-उत्पादों की भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग और बेहतर कीमतें हैं।
संजय अग्रवाल सचिव (ए एंड एपफडब्ल्यू) ने कहा कि राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के कार्यान्वयन के बाद देश में मधुमक्खी पालन का पूरा परिदृश्य बदल गया है। अग्रवाल ने कहा कि शहद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, मधुमक्खी पालकों के एकत्रीकरण और ढांचागत सुविधाएं प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा शहद उत्पादन में मिलावट रोकने के लिए शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं और मधुक्रांति पोर्टल शामिल हैं।
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डा0 आरएस सोढ़ी ने उल्लेख किया कि पूरे देश में 84 डेयरी संयंत्रों की स्थापना के माध्यम से डेयरी सहकारी समितियों और उनकी बुनियादी सुविधाओं का शहद उत्पादन के लिए एक साथ उपयोग किया जा सकता है।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, सुश्री शोभा करांदलाजे, पशुपालन विभाग के सचिव अतुल चतुर्वेदी सहित एमओएएफ और एमओएएचएफडी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। जीसीएमएमएफ के अध्यक्ष शामलभाई पटेल, जीसीएमएमएफ के उपाध्यक्ष वलमजीभाई हुंबल, बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकर चौधरी गुजरात से वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए।
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