डर की वजह से पूर्वाेत्तर पर कब्जे का नापाक इरादा!
चीन की साजिश को लेकर एक्सपर्ट ने आगाह किया
एजेंसी
नई दिल्ली। शी जिनपिंग की अगुआई में चीन हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। दशकों से भारत के प्रति उसका रवैया आक्रामक रहा है। पिछले काफी वक्त से एलएसी पर तनाव है। जिनपिंग कई मौकों पर चीनी सेना को यु( के लिए तैयार रहने का बयान दे चुके हैं।
ऐसे में सवाल यह भी कि वैश्विक व्यवस्था के हर क्षेत्र में अमेरिका की बादशाहत को चुनौती देने के कोशिश में लगा चीन आखिर एलएसी पर भारत के साथ तनाव को क्यों भड़का रहा है? कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव रह चुके और वर्तमान में सेंटर फार चाइना ऐनालिसिस ऐंड स्ट्रेटजी के प्रेजिडेंट जयदेव रानाडे इसके पीछे चीन की गहरी चाल बताते हैं। चीन की आक्रामकता उसके डर का नतीजा है जो उसे भारत से लग रहा है।
रानाडे ने चीन के उस डर के बारे में बताया है, जिसे दूर करने के लिए वह एलएसी पर आक्रामक है। उन्होंने लिखा है कि पिछले साल अक्टूबर में चीन के लोकप्रिय पोर्टल झिहु पर एक 72 पेज का आर्टिकल छपा। यह पोर्टल बीजिंग म्यूनिसिपलिटी कम्यूनिस्ट पार्टी की निगरानी में चलता है।
आर्टिकल में बताया गया है कि भारत भविष्य में चीन के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है। इसके पीछे दलील दी गई है कि फिलहाल भारत भले ही चीन से बहुत पीछे हो लेकिन आबादी और दूसरी बढ़तों की वजह से कुछ ही सालों में वह चीन को पीछे छोड़ने में सक्षम होगा और तब वह चीन से बदला चाहेगा। आर्टिकल में यह सलाह दी गई है कि चीन अक्साई चिन के साथ-साथ पूरा पीओके, बाल्टिस्तान और गिलगित पर कब्जा कर ले। लद्दाख पर भी नियंत्रण करे और पाकिस्तान की कश्मीर पर कब्जा करने में मदद करे।
आर्टिकल में यह भी सलाह दी गई है कि चीन को पूर्वाेत्तर भारत के राज्यों को बाकी देश से अलग कर देना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत कभी भी चीन के लिए चुनौती न बन पाए।
रानाडे के मुताबिक अगले कुछ साल बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं। हाल के वक्त में शी जिनपिंग चीन में बहुत ताकतवर हुए हैं। सत्ता पर पूरी तरह उनका नियंत्रण है। उनकी ख्वाहिश चीन के इतिहास में माओत्से तुंग और डेंग की तरह अमर होने की है। इसके लिए वह आक्रामक विस्तारवादी नीति पर आगे बढ़ेंगे।
चीन की कुटिल चाल का जिक्र करते हुए रानाडे कहते हैं कि भारत भी उसे काउंटर करने के लिए तेजी से प्रयास कर रहा है। उन्होंने लिखा है कि कट्टर राष्ट्रवादी पीएम नरेंद्र मोदी चीन की धौंस के आगे झुकने वाले नहीं हैं। वह बड़े ही व्यवस्थित ढंग से आक्रामक चीन को काउंटर करने में लगे हैं। इसके लिए एक तरफ तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत गठबंधनों के जरिए चीन की घेरेबंदी हो रही है तो दूसरी तरफ उस सप्लाई चेन पर निर्भरता कम की जा रही है जिस पर चीन का दबदबा है।
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