कोरोना वायरस से बचने के लिए अहम सबक
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। जो लोग कोरोनाकाल में इसके चपेट में आये और इसका सामना कर बाहर निकले, उनके अनुभव के आधार पर कुछ सबक है जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मददगार साबित हो सकते हैं। इसलिए इन बातों का महत्व काफी बढ़ जाता है। ज्यादातर कोरोना योद्वा अस्पताल में बहुत से लोग से मिलते रहे क्योंकि कोरोना संक्रमितों का इलाज उनका मकसद रहा। लेकिन मास्क और पीपीई किट की वजह से उन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ। जबकि महज दो दिन तक बिना मास्क के जिन लोगों ने कहीं पर प्रोग्राम को अटेंड किया तो उन्हें कोरोना हो गया। इसका मतलब साफ है कि मास्क कारगर है। इसलिए हो सके तो एन95 या केएन95 मास्क पहनें।
बहुत से लोग अभी भी वैक्सीन लगाने से परहेज कर रहें है। जबकि ज्यादातर वैक्सीन लगवाने वाले लोग संक्रमित तो हुए लेकिन जल्द ही ठीक होकर काम पर लौट आये। अब ऐसे लोग अपने अनुभव को बता कर लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित कर रहें है। उनका कहना है कि उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई होती तो उन्हें निश्चित तौर पर वेंटिलेटर पर अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष करना पड़ सकता था। एक बात और कि उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान किसी भी तरह के स्टेरायड, एंटीबायोटिक या पैक्सलोपिड नहीं लिए। एचसीक्यू, इमरमेक्टिन या जिंक भी नहीं ली। बिना डाक्टर की सलाह के दवाएं नहीं खायीं। हालांकि बेहद गंभीर मरीजों के लिए इलाज का प्रोटोकाल अलग है।
हमेशा याद रखें कि अंत में क्या होगा। इससे हमें सही दिशा में सोचने की हिम्मत मिलती है और हम सही फैसले ले पाते हैं। साथ ही हर्ड इम्युनिटी अच्छी बात है लेकिन भेड़चाल ठीक नहीं होती। इसलिए भेड़चाल का हिस्सा बनने से बचना चाहिये। सबसे बेहतर उपाय तो यही है कि आप वैक्सीन लगवाएं और मास्क पहनें। फिर भी कोरोना होता है तो आप ठीक हो जाएंगे। किसी के लिए एक प्रोग्राम में जाना जरूरी हो सकता है लेकिन इस बात को आप खुद देखें कि आपको अपने और अपने परिवार के लिए कितना जोखिम लेना चाहिये। इस बात को न भूलें कि हमारी या हमारे आसपास के लोगों की लापरवाही दूसरों पर भारी पड़ सकती है। इसलिए हमको अपने साथ साथ दूसरों के लिए ऐतिहात बरतना चाहिये।