प्रापर्टी बेचते वक्त टीडीएस कम करने के उपाय
प0नि0डेस्क
देहरादून। टैक्स कमिश्नर सेक्शन 197 के तहत जारी सर्टिफिकेट में टैक्स रेट का ब्योरा देते हैं। फिर उसी ब्योरे के आधार पर प्रापर्टी बेचने पर टैक्स कटता है। ये नियम भारत के अनिवासी (एनआरआई) लोगों के लिए है। इसके अंतर्गत प्रापर्टी की बिक्री पर टीडीएस बचाने का प्रावधान है। अगर कोई एनआरआई भारत में 2 साल तक प्रापर्टी अपने पास रखने के बाद बेचता है तो उसे 22.88 फीसदी के हिसाब से लान्ग टर्म कैपिटल गेन्स चुकाना होता है। हालांकि इस टैक्स कटौती को टीडीएस डिडक्शन की मदद से कम कर सकते हैं। इसका नियम आईटी एक्ट, 1961 में दिया गया है।
एनआरआई के लिए भारत में प्रापर्टी बेचने पर अलग नियम लागू होता है। इस तरह की प्रापर्टी पर 20 परसेंट की दर से टीडीएस कटौती का नियम होता है। हालांकि इनकम टैक्स के नियम में टीडीएस बचाने का भी प्रावधान है। इसके लिए एनआरआई को फार्म नंबर 10 भरना होता है। टीडीएस बचाने के लिए फार्म नंबर 13 के जरिये अप्लाई करना होता है जिसे लो डिडक्शन कहते हैं। अगर कोई एनआरआई भारत में मान लें कि 1 करोड़ की प्रापर्टी बेचता है तो उसका 20 परसेंट यानी कि 20 लाख के आसपास टैक्स कट जाएगा। यह राशि थोड़ी और ज्यादा हो सकती है क्योंकि इसमें सरचार्ज भी जुड़ता है।
अगर एनआरआई लो डिडक्शन के लिए अप्लाई करता है तो उसका उतना ही टैक्स कटेगा, जितना टैक्स उसका बनता था। इसके विपरीत टीडीएस में पूरा टैक्स कटता है और इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि आप किस स्लैब में आते हैं। अगर आप फार्म 13 के जरिये लो डिडक्शन के लिए अप्लाई करें तो उतना ही टैक्स कटेगा, जितना टैक्स आप देने के लिए पात्र हैं। कई तरह के अलग-अलग खर्च देखें तो कैपिटल गेन पर उतना टैक्स नहीं बनता है, जितना काटा जाता है। इससे बचने के लिए ही फार्म 13 अप्लाई किया जाता है।
फार्म 13 को अपने नजदीकी टैक्स कमिश्नर के पास जमा करना होता है। कमिश्नर आपके फार्म 13 के आधार पर सेक्शन 197 के अंतर्गत एक सर्टिफिकेट जारी करते हैं। इसके बाद जो व्यक्ति आपकी प्रापर्टी खरीद रहा है, वह उसी रेट पर टैक्स काटेगा जिस रेट को चुकाने के लिए आप अधिकृत हैं। दरअसल टैक्स कमिश्नर सेक्शन 197 के तहत जारी सर्टिफिकेट में टैक्स रेट का ब्योरा देते हैं। पिफर उसी ब्योरे के आधार पर प्रापर्टी बेचने पर टैक्स कटता है। इसके लिए कमिश्नर के पास आपको अपने सभी ट्रांजेक्शन के बारे में जानकारी देनी होगी।
नियम के अनुसार जो भी व्यक्ति प्रापर्टी खरीद रहा है, उसे टीडीएस काटना होता है और उसे सरकारी खजाने में जमा करना होता है। यहां ध्यान रखना होगा कि 50 लाख से ज्यादा की संपत्ति पर टीडीएस काटने का नियम है। मान लें किसी व्यक्ति ने 70 लाख रुपये की प्रापर्टी खरीदी तो वह पूरे 70 लाख पर टीडीएस काटेगा, न कि सिर्फ 20 लाख पर। अगर प्रापर्टी बेचने वाला व्यक्ति खरीदार को फार्म 13 का सर्टिफिकेट दे तो केवल 20 लाख पर ही टीडीएस कटेगा। अगर प्रापर्टी 1 करोड़ की है तो 50 लाख रुपये को छांट कर बाकी बचे 50 लाख पर ही टीडीएस कटेगा।
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