बीच शहर में भू माफियाओं का तांडवः नेहरू कालोनी पुलिस की भूमिका पर सवाल
मिलीभगत से देर रात भू-माफियाओं ने जेसीबी से तोड़ी दुकानें!
संवाददाता
देहरादून। किसी फिल्मी सीन की तरह कल रात 25 मार्च को रिस्पना पुल के समीप नेहरू कालोनी थाने से महज 200 मीटर की दूरी पर लाइफलाइन अस्पताल के सामने हरिद्वार रोड़ पर जो भू माफियाओं ने तांडव मचाया, वो कल्पना से परे है। रात करीब 11ः45 बजे के आसपास जेसीबी, डंपर और इनोवा गाड़ी में बदमाश आये और बीच शहर सड़क किनारे स्थित 6 दुकानों को तहस नहस कर गए। घटना के समय वहीं पास में एक एसआई 4 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी नेहरू कालोनी पुलिस की भूमिका को सवाल के घेरे में खड़ा कर रही है। हालांकि बाद में उन्होंने हस्तक्षेप कर पांच आरोपियों को पकड़ा।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक 25 मार्च को रात करीब 11ः45 बजे कथित तौर पर डाक्टर बंगारी, उसके बेटे के साथ करीब दर्जन भर बदमाश जेसीबी और डंपर लेकर इनोवा कार से घटनास्थल पर आये। उन्होंने सड़क किनारे बनी 6 दुकानों पर जेसीबी चलाना शुरू कर दिया। इस बीच जब इसकी जानकारी दुकानदारों को हुई तो उन्होंने इसका लोगों ने विरोध किया। भू माफियाओं द्वारा अवैध असलहे लहराये गए और पथराव भी किया गया। इस बीच उनकी जेसीबी खराब हो गयी और भू माफिया उसे छोड़कर भाग गए। इस दौरान घटनास्थल के निकट मौजूद पुलिसकर्मी कारवाई करने से बचते दिखे। बाद में लोगों के विरोध करने पर उन्होंने भू माफियाओं पर कारवाई की और जानकारी के अनुसार पांच आरोपियों को हिरासत में लिया गया। इससे नेहरू कालोनी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे है।
पीड़ित लोगों ने पुलिस पर आरोप लगाये कि उनकी मिलीभगत के कारण ही भू माफियाओं का दुःसाहस इतना बढ़ा कि उन्होंने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया। खुलेआम पिस्टल लहराया गया। बताया जा रहा है कि बदमाशों ने शराब पी रखी थी, ऐसे में कोई हादसा हो जाता या किसी की जान चली जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता? पीड़ित दुकानदारों में अंजुम, दलजीत, रईस, वकीम अहमद, सोनू, किशोर और गुरूमीत शामिल है। इन दुकानदारों का लाखों का सामान बर्बाद हो गया। सबसे ज्यादा किशोर का करीब 32 लाख की मशीनें कबाड़ हो गई, लेपटाप टूट गए। इसी तरह लाखों का नुकसान इन दुकानदारों का हो गया।
बताया जा रहा है कि वहां पर स्थित जमीन इन दिनों सुर्खियों में है। आवास विकास के स्वामित्व वाली उक्त जमीन पर कुछ स्थानीय लोगों का वाद चल रहा है। वहां पर करीब 30-35 सालों से कई दुकानदार भी काबिज है। हाल ही में उक्त जमीन के कथित स्वामी ने जमीन का कुछ हिस्से को भू माफियाओं को बेचा है। ये लोग ऐसी विवादित जमीन को औने-पौने दामों पर खरीद कर उसे खाली कराकर बेचने का काम करते है। अक्सर इसी तरह गुंडई करके जमीन खाली करायी जाती है। जानकारी के अनुसार ऐसी ही जमीन पर एक तो नक्शा पास कराकर कई मंजिला निर्माण भी करा चुका है। जबकि उक्त जमीन के खातेदार में आवास विकास का नाम दर्ज है।
जानकारी के अनुसार रात को भू माफियाओं एवं उनके साथ आये बदमाशों ने विरोध करने पर लखविन्दर सिंह, जसवीर सिंह और श्रीमती दीपा कौर के साथ हाथापाई और मारपीट की। हैरानी की बात है कि वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने भी उन पर दबाव बनाने का प्रयास किया। लोगों के कड़े विरोध के बाद ही पुलिसकर्मी आरोपियों को पकड़ने को मजबूर हुई। लोगों का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझ कर आरोपियों पर हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है जिससे उनकेी मिलीभगत का संदेह होता है।
इस प्रकार की घटनाओं का होना प्रदेश सरकार और पुलिस व्यवस्था पर सवालिया निशान है। क्योंकि आरोप लग रहें है कि पुलिस की मिलीभगत के बिना भू माफिया ऐसा दुःसाहस नहीं कर सकते है। वहीं घटना के वक्त करीब एक घंटे तक बिजली का गूल रहना भी साबित करता है कि यह दुकानों को हटाने की पूर्व निर्धारित योजना थी। जिसके लिए भू माफियाओं ने पुलिस से लेकर बिजली विभाग तक के भ्रष्ट लोगों से सांठगांठ कर रखी थी। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलापफ सख्त कारवाई हो ताकि आगे कोई भी भू माफिया और भ्रष्ट कर्मचारी इस तरह की हिमाकत न कर सके।