अमेरिकी परियोजना एमसीसी को लेकर बवाल
परियोजना को पारित कराने के लिए अमेरिका का दबाव और चीन कर रहा कड़ा विरोध
प0नि0ब्यूरो
काठमांडू। नेपाल में मिलेनियम चैलेंज कोऑपरेशन (एमसीसी)को लेकर सत्तारूढ गठबंधन में मतभेद आ गया है। नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने अमेरिकी परियोजना एमसीसी को हर हाल में संसद से पारित कराने का अल्टीमेटम दे दिया है, वहीं चीन ने इस परियोजना को संसद से पारित नहीं करवाने के लिए दबाब बनाना शुरू कर दिया है। नेपाल के प्रधानमंत्री देउबा ने सत्ता में साझेदार कम्यूनिस्ट पार्टियों से कह दिया है कि संसद के मौजूदा सत्र से एमसीसी पारित करवाने में वे उनकी मदद करें। ऐसा नहीं होने पर वह गठबंधन तोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे।
देउबा सरकार को समर्थन कर रहे माओवादी और नेकपाएस जैसी वामपंथी दलों ने गठबंधन की बैठक में पीएम को स्पष्ट कर दिया कि अमेरिकी परियोजना चीन के विरूद्ध लक्षित है इसलिए इसको संसद से पास नहीं कराना चाहिए। इस पर जब पीएम देउबा ने कहा कि अगर सत्तारूढ दल इसमें उनका साथ नहीं देगा तो मजबूरन उन्हें विपक्ष का समर्थन लेना होगा। इस स्टैंड पर चीन समर्थित दल माओवादी, नेकपाएस और जनता समाजवादी पार्टी ने कह दिया कि सरकार रहे या जाए गठबंधन टूटे या रहे, लेकिन एमसीसी किसी कीमत में पारित नहीं होगा।
नेपाल की संसद के स्पीकर अग्नि सापकोटा माओवादी पार्टी से आते हैं इसलिए प्रचंड के कहने पर बिना पीएम की जानकारी के संसद की बैठक को 10 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। इस बात का खुलासा हुआ है कि जब प्रधानमंत्री के सरकारी निवास में एमसीसी पास करने को लेकर गठबंधन की बैठक चल रही थी उससे पहले ही माओवादी के अध्यक्ष प्रचंड चीन में सत्तारूढ कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चीन के विदेश विभाग प्रमुख सांग ताओ से वीडियो कांफ्रेंस में बात करते आए हैं।
सूत्रों के मुताबिक चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के इंटरनेशनल डिपार्टमेंट के हेड सांग ताओ ने एमसीसी परियोजना को किसी भी हालत में संसद में पेश नहीं होने देने के लिए दबाब डाला है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब चीन का खुला हस्तक्षेप नेपाल के आंतरिक मामलों में हो रहा है। इससे पहले भी सार्वजनिक रूप से और नेपाल के राजनीतिक दल के प्रमुख नेताओं के साथ चीन ने किसी भी हालत में अमेरिकी परियोजना को रोकने का दबाब बनाया है। चीन का मानना है कि एमसीसी परियोजना के जरिये दरअसल चीन की घेराबंदी करने के लिए नेपाल को 55 मिलियन डॉलर का ग्रांट दिया जा रहा है। चीन को आशंका है कि एमसीसी के जरिए अमेरिका नेपाल में अपना सैन्य बेस बनाना चाहती है और यहां से वो तिब्बत को अशांत करने की उसकी योजना है।