नए फार्मूले से होगा जुलाई में डीए का ऐलान
एजेंसी
नई दिल्ली। महंगाई भत्ते (डीए) को लेकर एक और नया अपडेट आया है। मार्च में डीए बढ़ने के बाद अब जुलाई में इसकी अलग बढ़ोतरी होगी लेकिन जुलाई में महंगाई भत्ता कैलकुलेट होने का फार्मूला बदल जाएगा। बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों का डीए फिलहाल 3 फीसदी बढ़कर मिल रहा है। कुल डीए 34 फीसदी पहुंच गया है। ऐसे में अब अगले महंगाई भत्ते में होने वाला बदलाव चर्चा का विषय है। एक तरपफ जहां एआईसीपीआई इंडेक्स में लगातार गिरावट आई है। वहीं अब महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन भी बदले हुए तरीके से होगा।
महंगाई भत्ता केंद्र और राज्यों के सरकारी कर्मचारियों को उनकी कास्ट आफ लिविंग के स्तर को बेहतर बनाने के लिए मिलता है। महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर पर कोई फर्क न पड़े इसलिए ये अलाउंस सैलरी स्ट्रक्चर का पार्ट है। सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (डीए) और पेंशनधारकों को महंगाई राहत (डीआर) दिया जाता है।
महंगाई भत्ते को लेकर श्रम मंत्रालय ने कैलकुलेशन का फार्मूला बदल दिया है। श्रम मंत्रालय ने महंगाई भत्ते के आधार वर्ष 2016 में बदलाव किया है। मजदूरी दर सूचकांक की एक नई सीरीज जारी की है। श्रम मंत्रालय ने कहा कि आधार वर्ष 2016=100 के साथ डब्ल्यूआरआई की नई सीरीज 1963-65 के आधार वर्ष की पुरानी सीरीज की जगह लेगी।
7वें वेतनमान कमीशन के महंगाई भत्ते की मौजूदा दर को मूल वेतन से गुणा करने पर महंगाई भत्ते की रकम निकाली जाती है। प्रतिशत की मौजूदा दर 12 फीसदी है, अगर आपका मूल वेतन 56,900 रुपए डीए (56,900ग12)/100 है। महंगाई भत्ते का फीसदी= पिछले 12 महीने का सीपीआई का औसत-115.76. अब जितना आएगा उसे 115.76 से भाग दिया जाएगा। जो अंक आएगा, उसे 100 से गुणा कर दिया जाएगा।
7वें वेतन आयोग के तहत सैलरी कैलकुलेशन के लिए कर्मचारी की बेसिक सैलरी पर डीए कैलकुलेट करना होगा। मान लीजिए किसी केंद्रीय कर्मचारी की न्यूनतम बेसिक सैलरी 25,000 रुपए है तो उसका महंगाई भत्ता 25,000 का 34 फीसद होगा। 25,000 रुपए का 34 फीसद यानी कुल 8500 रुपए होगा। ये एक उदाहरण है। इसी तरह बाकी सैलरी स्ट्रक्चर वाले भी अपनी बेसिक सैलरी के हिसाब से इसे कैलकुलेट कर सकते हैं।
महंगाई भत्ता पूरी तरह टैक्सेबल होता है। भारत में आयकर नियमों के तहत इनकम टैक्स रिटर्न में महंगाई भत्ते के बारे में अलग से जानकारी देना होती है। मतलब आपको जितनी रकम महंगाई भत्ते के नाम पर मिलती है वह टैक्सेबल है और उस पर टैक्स चुकाना होगा।
महंगाई भत्ता दो तरह का होता है। पहला इंडस्ट्रियल डियरनेस अलाउंस और दूसरा वेरिएबल डियरनेस अलाउंस। इंडस्ट्रियल डियरनेस अलाउंस का संशोधन हर 3 महीने में होता है। ये केंद्र सरकार के पब्लिक सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए होता है। इसका आकलन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर होता है। वेरिएबल डियरनेस अलाउंस का रिवीजन हर 6 महीने में होता है। वेरिएबल डियरनेस अलाउंस का आकलन भी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर होता है।