राजभवन एमडी यूपीसीएल के ट्रांसफार्मर घोटाले की कराये उच्च स्तरीय जांचः मोर्चा
एमडी यूपीसीएल के खिलाफ लंबित है तीन वर्ष से जांच
सचिव ऊर्जा ने तीनों निगमों के एमडी को लेकर बनाई थी कमेटी
अनिल कुमार अधीक्षण अभियंता (क्यूए/क्यूसी) थे उस वक्त
तत्कालीन एमडी यूपीसीएल ने भी उच्च स्तरीय जांच की करी थी मांग
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा अनिल कुमार नामक जिस अधिकारी को अक्टूबर 2021 में यूपीसीएल का एमडी नियुक्त किया गया है, उस भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ 160 एमवीए ट्रांसफार्मर एवं 40 एमवीए ट्रांसफामर्स की गुणवत्ता/खरीद मामले में लगभग 3 वर्ष से जांच लंबित है। बावजूद इसके करोड़ों की डील कर इनको एमडी यूपीसीएल एवं पिटकुल का अतिरिक्त चार्ज दिया गया। उक्त अधिकारी ट्रांसफार्मर क्रय किए जाने की अवधि में अधीक्षण अभियंता (क्यूए/क्यूसी) के पद पर कार्यरत थे।
नेगी ने कहा कि सचिव ऊर्जा द्वारा वर्ष 2019 में इनके घोटाले का संज्ञान लेते हुए इस प्रकरण पर तीनों निगमों के प्रबंध निदेशकों एवं निदेशक (परिचालन) यूपीसीएल की एक संयुक्त कमेटी का गठन करते हुए उक्त घोटाले की जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आज तक रिपोर्ट शासन तक नहीं पहुंच पाई। इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग को लेकर भी तत्कालीन एमडी यूपीसीएल दीपक रावत ने नवंबर 2021 को शासन को पत्र प्रेषित किया था। उक्त भ्रष्ट अधिकारी द्वारा अपनी सेटिंग-गेटिंग के आधार पर उक्त जांच को आज तक ठंडे बस्ते में डलवाया हुआ है। झाझरा उप संस्थान के एक अन्य मामले जिसमें 80 एमवीए ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त होने के मामले में भी इनकी भूमिका की जांच कराई गई थी, जिसमें सेटिंग-गेटिंग के आधार पर इनको दोषमुक्त किया गया था। अनिल कुमार के पिटकुल एमडी के कार्यभार ग्रहण करने से लेकर आज तक इनके कारनामों की भी जांच की जानी आवश्यक है। अगर पूरे प्रकरणों की ईमानदारी से जांच हो जाए तो बहुत कुछ जनता के सामने आएगा। मोर्चा ने राजभवन से इनके काले कारनामों की उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर गुहार लगाई।
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विनयकांत नौटियाल, विजयराम शर्मा व जाबिर हसन मौजूद रहे।