बुधवार, 13 अप्रैल 2022

पांव में कुल्हाड़ी मारता आलाकमान!

 अन्तर्कलह के कारण उत्तराखंड़ कांग्रेस का बंटाधर निश्चित

पांव में कुल्हाड़ी मारता आलाकमान!



प0नि0ब्यूरो

नर्द दिल्ली। यह कोई नयी बात नहीं है। एक के बाद एक आत्मघाती फैसले के कारण कांग्रेस का समूचे देश से सपफाया होता जा रहा है। भले ही भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस मुक्त राष्ट्र की बात करती  हो लेकिन इसपर अमल खुद कांग्रेस ला रही है। पहले भी जब कांग्रेस के विधायक बगावत कर भाजपा में चले गए थे, पार्टी आलाकमान की अनुभवहीनता उजागर हुई थी। वर्तमान में भी कांग्रेसी आलाकमान को लग रहा है कि उसने कद्दू में तीर मार लिया, यह उसकी गलतफहमी ही है।

बल्कि हो यह रहा है कि कांग्रेस से उसके स्थानीय क्षत्रपों का मोह भंग होता जा रहा है। इसके बावजूद कांग्रेसी आलाकमान को वास्तविकता नजर नहीं आ रही है। उसके पर्यवेक्षक लगता है, योग्य नहीं है। भेजे जाते है कि बात बनाकर आयेंगे लेकिन बात बिगाड़ कर आ जाते है। जैसे पंजाब में हरदा कबाड़ करके आ गए थे। हालांकि यह दावा खुद पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का था। अब उत्तराखंड़ में भी प्रदेश के प्रभारी नेताओं पर ऐसे आरोप लगाये जा रहें है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पदों के लिए पैसों का लेनदेन भी हुआ। 

इसपर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है। कांग्रेस की बात कांग्रेसी जाने। लेकिन इन सब चीजों से प्रदेश में पार्टी को लेकर गलत मैसेज जा रहा है। हाल ही में कांग्रेस द्वारा सीधे दिल्ली से अहम पदों पर की गई नियुक्तियों ने असंतोष की आग को हवा दे दी है। घी का काम किया है प्रदेश प्रभारी के बयानों ने। इसका परिणाम है कि कांग्रेस में इस्तीफा देने की झड़ी लग गई है। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर प्रीतम सिंह की जगह यशपाल आर्य को बैठाना, करन महरा को प्रदेश की कमान सौंपना जैसे फैसलों ने बगावत को हवा दे दी है। 

बगावती नेताओं के भाजपाईयों से मुलाकात करने के कई निहितार्थ निकले जा रहें है। अब की बगावत हो गई तो संकट बड़ा हो सकता है। क्योंकि पदाधिकारियों की नियुक्ति करते समय आलाकमान ने जातिगत समीकरण को जरूर ध्यान में रखा लेकिन मंडलीय संतुलन को बिगाड़ दिया। सारे पदाधिकारी कुमाउफं से हो गए। इससे गढ़वाल क्षेत्र के क्षत्रप स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहें है। उन्होंने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए है लेकिन हर बार की तरह कांग्रेसी आलाकमान इसको नजरअंदाज करने में लगा है। इससे निश्चित तौर पर उत्तराखंड़ में कांग्रेस का बंटाधार होना तय है।

बताया जा रहा है कि इस फैसले से खुद हरदा भी खुश नहीं है। ऐसे में सवाल लाजमी है कि जब आलाकमान के फैसले से कोई भी पक्ष संतुष्ट नहीं है तो क्यों नही उसे समझ नहीं आ रहा कि इससे असंतोष फैलेगा और यह बगावत में तब्दील हो सकता है। इसका पहले भी भाजपा फायदा उठा सकती है। 

सबसे बड़ा सवाल तो यह भी है कि कांग्रेस का आलाकमान कौन है? प्रियंका बढेरा, सोनिया गांधी या फिर राहुल गांध्ी! यह सवाल अक्सर कांग्रेस के जी 23 के असंतुष्ट नेता भी पूछते रहते है। पता सबको है लेकिन बयां कोई नहीं करना चाहता।

मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी

 मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी संवाददाता देहरादून। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण न...