सड़क निर्माण से पूर्व नदियों को पुनर्जीवित करेंः मैड
संवाददाता
देहरादून। रिस्पना और बिंदाल नदियों पर एलेवेटेड सड़क निर्माण पर मेकिंग ए डिप्रफेंस बाए बीईंग द डिप्रफेंस (मैड) ने विरोध के स्वर बुलंद कर दिए हैं। शहर में विगत 10 वर्षों से रिस्पना व बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन पर लगातार अभियान चला रही मैड संस्था ने ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट का विरोध करने की बात कही है जो देहरादून की नदियों व संबंधित पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के बुनियाद पर आधारित होगी।
पत्रकार वार्ता करते हुए मैड के सदस्यों ने बताया कि एक ओर सरकार की तमाम बातें और प्रयास रिस्पना पुनर्जीवन के मामले पर एक वार्षिक फोटो खिंचाने के अवसर तक ही सीमित रह गए हैं जो जुलाई के महीने में हरेला के दिन नाटकीय ढंग से आयोजित होता है। वहीं दूसरी ओर नीति नियोजन के मामले पर या धरातल पर कुछ भी करने पर सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।
उनका कहना था कि आज भी रिस्पना-बिंदाल नदियां प्रदूषण के प्रकोप से त्रस्त हैं। उन पर रह रहे लोग हर वर्ष बारिश के मौसम में बाढ़, नदी कटाव की चपेट में आते हैं तथा डेंगू-मलेरिया की वजह से त्रस्त रहते हैं। रिवरप्रफंट डेवलपमेंट के नाम पर पहले ही मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने दोनों नदियों का गला घोंटने का काम किया है और बेइंतहा पैसा इस कार्य में लगाया गया है। इस सबके बीच ‘रिस्पना से ऋषिपर्णा’ की बात करने वाली इस सरकार को और कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले इन दोनों नदियों के पुनर्जीवन पर ही अपना पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए।
मैड की ओर से सरकार के हर सकारात्मक प्रयास का समर्थन किया गया है। मैड संस्था के सदस्यों ने अवगत कराया कि राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की की 2014 की रिपोर्ट में रिस्पना और बिंदाल नदी के पुनर्जीवन का पूरा खाका खींच दिया गया है। इन दोनों नदियों के प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए चारखाल की पुरानी रीति से इन के ऊपरी क्षेत्र के कैचमेंट एरिया और बहाव क्षेत्र को संरक्षण और अतिक्रमण-मुक्त करने की जरूरत है। नीचे आते हुए भी नदियों के नदी तल और नदी तट को अतिक्रमण से मुक्त कराकर इसमें फैले व्यापक प्रदूषण के लिए जिम्मेदारी तय करना जरूरी है।
मैड ने यह भी ऐलान किया कि उसकी ओर से शहर के सैकड़ों युवाओं को एक बार फिर नदी पुनर्जीवन पर एकत्रित किया जाएगा और एक व्यापक जनसहभागिता अभियान की शुरुआत दस हजार लोगों के पुनर्चक्रित कागज पर हस्ताक्षर लेकर हर स्तर पर उठाई जाएगी। मैड ने चेतावनी दी है कि नदी पुनर्जीवन से पहले और किसी तरह के प्रयास को आगे नहीं ले जाने दिया जाएगा। मैड संस्था ने सरकार से एक बार फिर रिस्पना नदी पर असली प्रयास करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि मैड के सुझाव पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को उत्तराखंड सरकार का एक लक्ष्य बनाया था।