मोर्चा ने कहा- राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में सुगम-दुर्गम का खेल हो बंद
# वर्ष 2018 में कई कॉलेजों को दर्शाया गया था सुगम, अब हो गए दुर्गम यानी पहाड़ों पर विकास के बजाय हुआ विनाश !
# अपने खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए खेला जा रहा खेल
#सिफारिशविहीन प्रधानाचार्य/अधिकारीगण आज भी दुर्गम में दिन काटने को मजबूर
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश के कुछ खास राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों के कुछ खास प्रधानाचार्य, निदेशालय कुछ खास अधिकारियों को सुगम क्षेत्र में ही बनाए रखने की मंशा से सुगम-दुर्गम का खेल खेला जा रहा है यानी अपने खास चेहतों को सुगम में ही बनाए रखने की चाहत में सुगम को फिर दुर्गम तथा दुर्गम को फिर सुगम बना दिया जाता है तथा वहीं दूसरी ओर सिफारिश विहीन प्रधानाचार्य वर्षों से दुर्गम/अति दुर्गम स्थानों पर अपने दिन काट रहे हैं।
प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर (पौड़ी) के अधिकारी भी प्राविधिक शिक्षा परिषद, देहरादून में डेरा डाले हुए हैं। हैरानी की बात है कि वर्ष 2021 के द्वारा पुनः कोटीकरण के आधार पर निदेशालय स्तर से वर्ष 2022 में प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर एवं पॉलिटेक्निक कॉलेज श्रीनगर (गढ़वाल) दुर्गम क्षेत्र में दर्शाया गया है, जबकि 2018 में सुगम में दर्शाया गया था यानी श्रीनगर का आज तक विकास हुआ ही नहीं।
इसी प्रकार पॉलिटेक्निक कॉलेजों यथा पौड़ी (गढ़वाल), रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चंपावत आदि सुगम क्षेत्र के कॉलेजों को वर्तमान में दुर्गम दर्शाया गया है। नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि अगर श्रीनगर (गढ़वाल) दुर्गम क्षेत्र है तो लेह लद्दाख को कौन सा क्षेत्र समझा जाए। मोर्चा इस सुगम-दुर्गम के खेल का खात्मा करने एवं अति दुर्गम क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे प्रधानाचार्य एवं अधिकारियों को न्याय दिलाने के लिए शासन में दस्तक देगा। पत्रकार वार्ता में ओपी राणा व मुकेश पसबोला मौजूद थे।