रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष न रखने पर सूचना आयोेग सख्त
उत्तराखंड शासन के गृह विभाग के लोक सूचना अधिकारियों को विभागीय कार्यवाही का नोटिस
संवाददाता
काशीपुर। उत्तराखंड मानव अधिकार आयोेग की वार्षिक रिपोर्ट/विशेष रिपोेर्ट विधानसभा के समक्ष न रखने पर सूचना आयोग ने कठोर रूख अपनाते हुये गृह विभाग के दो लोक सूचना अधिकारियों को उनके विरूद्व विभागीय कार्यवाही का नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही विधानसभा के समक्ष रिपोर्ट रखने की कार्यवाही 29 जून से पहले पूर्ण करने का भी आदेश दिया है। यह आदेश सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन की अपील पर दिया है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने अपने सूचना प्रार्थना पत्र से उत्तराखंड मानव अधिकार आयोेग की सरकार को प्रस्तुत वार्षिक/विशेष रिपोर्टों, इस पर कार्यवाही तथा उन्हें विधानसभा के समक्ष रखने सम्बन्धी सूचनायें मांगी थी। इसके उत्तर में पहले तो लोक सूचना अधिकारी ने अतिरिक्त शुल्क 260 रूपयों की मांग की लेकिन जब इस शुल्क का भुगतान प्रेषित कर दिया गया तो आयोग की वार्षिक रिपोर्ट/विशेष रिपोर्ट के सुरक्षा एवं गोपनीयता के दृष्टिगत दिया जाना संभव नहीं है लिखते हुुये उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया। इस पर नदीम ने उत्तराखंड सूचना आयोग को द्वितीय अपील की। उत्तराखंड सूचना आयोग के सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र की पीठ ने अपील की 11 अप्रैल को सुनवाई की।
नदीम के अपील प्रार्थना पत्र के तथ्योें से सहमत होते हुये सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने सूचना उपलब्ध न कराने तथा विधानसभा के समक्ष उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट न रखने पर कठोर रूख अपनाया। विपिन ने अपने आदेेश 11-04-2022 में स्पष्ट लिखा कि तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी धीरज कुमार, अनुभाग अधिकारी गृह अनुभाग-5 उत्तराखंड शासन देहरादून एवं वर्तमान लोक सूचना अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी अनुभाग अधिकारी गृह अनुभाग-5 उत्तराखंड शासन देहरादून द्वारा अपने दायित्वों/कर्तव्योें का निर्वहन सुचारू रूप से नहीं किया है। राज्य मानवाधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट/विशेष रिपोर्ट अत्यंत महत्वपूर्ण हैै, क्योेंकि उक्त रिपोर्ट राज्यवासियों के मानवाधिकार से संबंधित है एवं उक्त रिपोर्ट को समय से मंत्रिमंडल के सम्मुख व विधानसभा के पटल पर रखने की जिम्मेदारी प्रशासन की हैै।
यदि उक्त दोनों अधिकारियों द्वारा प्रकरण में सुचारू रूप से कार्य करते हुए उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट/विशेष रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष विचार हेतु रखते तो विचारोपरांत उक्त जानकारी/सूचना अपीलार्थी को प्रेषित की जा सकती थी। स्पष्ट हैै कि उपरोक्त दोनों अधिकारीगण अपने कार्य के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता बरतते हैं और अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य ही मात्रा अनुस्मारक पत्रा भेजकर खानापूर्ति करते हैैं। दोनों अधिकारी गण द्वारा यह व्यवहार अनुचित एवं दंडनीय है। अतः तत्कालीन लोेक सूचना अधिकारी धीरज कुमार, अनुभाग अधिकारी गृह अनुभाग-5 उत्तराखंड शासन देहरादून एवं वर्तमान लोक सूचना अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी, अनुभाग अधिकारी गृह अनुभाग-5 उत्तराखंड शासन देहरादून को अपने कार्य के प्रति उदासीनता/लापरवाही बरतने हेतु सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(2) के अन्तर्गत कारण बताओें नोटिस निर्गत किया जाता हैै कि क्यों न उनके लोेक प्राधिकारी को उनके विरूद्व विभागीय कार्यवाही की संस्तुुति प्रेषित की जाये एवं उनकी सेवा पुस्तिका में आयोग की टिप्पणी अंकित की जाये।
उक्त संबंध में दोनों अधिकारी अपना स्पष्टीकरण आगामी सुनवाई की तिथि को उपस्थित होकर आयोग के समक्ष प्रस्ततुु करना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही लोक सूचना अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी अनुभाग अधिकारी गृह अनुभाग-5 उत्तराखंड शासन देहरादून को यह भी निदेर्शित किया जाता है कि उनको पर्याप्त समय देते हुए आगामी सुनवाई की तिथि से पूर्व उत्तराखंड राज्य मानव अधिकार आयोेग की वार्षिक रिपोर्ट/विशेष रिपोर्ट विधान सभा के समक्ष विचार हेतु रखने की कार्यवाही पूूर्ण करते हुए संबंधित अभिलेख अपने स्पष्टीकरण के साथ आयोेग को प्रस्तुत करेंगे।
सूचना आयुक्त विपिन ने इस आदेश में अपीलार्थी नदीम उद्दीन से भी अपेक्षा की गयी हैै कि उनके द्वारा द्वितीय अपील में जो क्षतिपूर्ति की मांग की गयी हैै, इस संबंध में आगामी सुनवाई की तिथि से पूर्व तत्संबधित उनकी क्षति की लिखित आख्या आयोेग को प्रेषित करेंगे, जिससे सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 19(8)(ख) के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति का निर्धारण किया जा सके एवं तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी धीरज कुमार अनुभाग अधिकारी गृह अनुभाग-5 उत्तराखंड देहरादून एवं वर्तमान लोेक सूचना अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी अनुभाग अधिकारी गृह अनुभाग-5 उत्तराखंड शासन देहरादून से क्षतिपूर्ति दिये जाने संबंधी कार्यवाही की जायेगी।